सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। नाम मीना (परिवर्तित नाम)। उम्र 12 वर्ष। मासूम चेहरा और आंखों में अजीब-सा डर। कोई अनजान व्यक्ति करीब आ जाए तो मुंह फेर लेती है। अपने ही शरीर में हो रहे बदलाव को देखकर बार-बार मां से सवाल-जवाब करती है। तकलीफ को अनदेखा कर सहेलियों के साथ खेलने जाने की जिद करती है। न वो दरिंदगी की परिभाषा समझती है, न ही कानून के दांव-पेंच, लेकिन उसके आंसू बार-बार यह कहते हैं कि मुझे मेरा बचपन लौटा दो।
फुफेरे भाई ने उसे हवस का शिकार बनाया था। परिजन ने बेटी का पेट का आकार बढ़ता हुआ देख डॉक्टर को दिखाया। सोनोग्राफी जांच में उसे छह माह का गर्भ निकला। रिपोर्ट देखकर परिजन की पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटी से पूछने पर उसने बताया कि बुआ के बेटे ने दुष्कृत्य किया था और मुंह खोलने पर जान से मारने की मकी देता था।
जब डॉक्टर ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया तो परिजन ने कोर्ट की शरण ली। कानून के मुताबिक गर्भपात की समयाि निकल जाने से डॉक्टरों ने इसकी अनुमति नहीं दी। खंडवा कोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन वहां से भी खारिज हो गई। परिजन ने इंदौर हाईकोर्ट में अपील की। बच्ची की मदद करने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम भी पहुंची जो उन्हें कानूनी लड़ाई लड़ने में मदद करेगी। उन्होंने बच्ची की काउंसलिंग भी की।
गुमसुम सी पड़ी रहती है पलंग पर
अस्पताल के पलंग पर गुमसुम-सी पड़ी बच्ची सहेलियों को याद करती रहती है। छठी कक्षा में पढ़ने वाली मीना कहती है कि मुझे स्कूल जाना है। मेरा पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। घरवाले जाने नहीं दे रहे। अस्पताल में नहीं रहना। यहां डर लग रहा है।
गंदा काम करता था
बच्ची ने बताया कि बुआ का लड़का लखन रोज घर आता था और गंदा काम करता था। कहता था कि किसी को बताया तो मार डालूंगा। इसीलिए डर के कारण किसी को नहीं बताया। उसे कभी जेल के बाहर मत निकालना, वरना वह फिर गंदा काम करेगा।
डॉक्टर साहब को बोलो- मेरा पेट ठीक कर दें
मासूम नहीं समझ रही कि उसके गर्भ में एक जिंदगी पल रही है। वह सिर्फ इतना समझ पा रही है कि उसके पेट में कुछ परेशानी हो गई है। वह मां को कहती है कि डॉक्टर साहब को बोलो कि मेरा पेट जल्द ठीक कर दें।
Be the first to comment on "उम्र 12 साल, 6 माह का गर्भ, डॉक्टर से बोली – मेरा पेट ठीक कर दो"