उरी हमले से शोक भी, आक्रोश भी, दोषियों को सजा जरूर मिलेगी: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि, बीते दिनों जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में, एक आतंकी हमले में, हमारे देश के 18 वीर सपूतों को हमने खो दिया। मैं इन सभी बहादुर सैनिकों को नमन करता हूँ और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। इस कायराना घटना पूरे देश को झकझोरने के लिए काफ़ी थी। देश में शोक भी है, आक्रोश भी है और ये क्षति सिर्फ़ उन परिवारों की नहीं है, जिन्होंने अपना बेटा खोया, भाई खोया, पति खोया। ये क्षति पूरे राष्ट्र की है। और इसलिए मैं देशवासियों को आज इतना ही कहूँगा और जो मैंने उसी दिन कहा था, मैं आज उसको फिर से दोहराना चाहता हूँ कि दोषी सज़ा पा करके ही रहेंगे।

कश्मीर के नागरिक देश-विरोधी ताक़तों को भली-भाँति समझने लगे हैं-

पीएम मोदी ने कहा कि, कश्मीर के नागरिक देश-विरोधी ताक़तों को भली-भाँति समझने लगे हैं।

र जैसे-जैसे सच्चाई समझने लगे हैं, वे ऐसे तत्वों से अपने-आप को अलग करके शांति के मार्ग पर चल पड़े हैं। पीएम ने कहा कि, मुझे विश्वास है कि हर समस्या का समाधान हम मिल-बैठ करके खोजेंगे, रास्ते निकालेंगे और साथ-साथ कश्मीर की भावी पीढ़ी के लिये उत्तम मार्ग भी प्रशस्त करेंगे।

कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा, ये शासन की जिम्मेवारी होती है। क़ानून और व्यवस्था बनाने के लिये शासन को कुछ क़दम उठाने पड़ते हैं। मैं सुरक्षा बलों को भी कहूँगा कि हमारे पास जो सामर्थ्य है, शक्ति है, क़ानून हैं, नियम हैं; उनका उपयोग क़ानून और व्यवस्था के लिये है, कश्मीर के सामान्य नागरिकों को सुख-चैन की ज़िन्दगी देने के लिये है और उसका हम भली-भाँति पालन करेंगे।

पैरा ओलंपिक में भारत के खिलाड़ियों की तारीफ-

पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में पैरा ओलंपिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पैरा ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन ने दिव्यागों के प्रति सोच बदली है। इस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेन्द्र झाझरिया ने दिखा दिया कि शरीर की अवस्था, उम्र का बढ़ना, उनके संकल्प को कभी भी ढीला नहीं कर पाया।

प्रधानमंत्री ने विजेता की तारीफ करते हुए कहा कि, दीपा मलिक की इस बात को कभी नहीं भूल पाऊंगा। जब उसने मेडल प्राप्त किया, तो उसने ये कहा – “इस मेडल से मैंने विकलांगता को ही पराजित कर दिया है। ” इस वाक्य में बहुत बड़ी ताक़त है। इस बार पैरालंपिक में हमारे देश से 3 महिलाओं समेत 19 एथलीट्स ने हिस्सा लिया। बाकी खेलों की तुलना में जब दिव्यांग खेलते हैं, तो शारीरिक क्षमता, खेल का कौशल्य, इस सबसे भी बड़ी बात होती है – इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति। इन दिव्यांगजनों के प्रति देखने के दृष्टिकोण को भी बदला है।

‘स्वच्छ भारत मिशन’ पर बोले पीएम-

पीएम ने कहा कि, अक्टूबर को पूज्य बापू की जन्म जयंती पर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को हमने प्रारंभ किया था। अब 2 अक्टूबर को जब दो वर्ष हो रहे हैं, तब मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि देश के सवा-सौ करोड़ देशवासियों के दिल में स्वच्छ्ता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। ग्रामीण भारत की बात करें, तो अब तक दो करोड़ अड़तालीस लाख, यानि करीब-करीब ढाई-करोड़ शौचालय का निर्माण हुआ है।

आरोग्य के लिये, नागरिकों के सम्मान के लिये, ख़ास करके माताओं-बहनों के सम्मान के लिये, खुले में शौच जाने की आदत बंद होनी ही चाहिए। भारत सरकार ने एक टेलीफ़ोन नंबर दिया है – 1969। हम जानते हैं, 1869 में महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था। ये 1969 नंबर – उस पर आप फ़ोन करके न सिर्फ़ अपने शहर में शौचालयों के निर्माण की स्थिति जान पाएँगे, बल्कि शौचालय बनवाने के लिए आवेदन भी कर पाएँगे।

खादी खरीदने का आह्वान-

पीएम ने मन की बात में रहा कि, भारत सरकार ने भी अपने-अपने विभागों ने, एक साल-भर का कैलेंडर बनाया है। हर विभाग 15 दिन विशेष रूप से स्वच्छता पर फोकस करता है। आने वाली 2 अक्टूबर, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती है। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को 2 वर्ष हो रहे हैं। मैं गाँधी जयंती से दीवाली तक, खादी का कुछ-न-कुछ खरीदने के लिये तो आग्रह करता ही रहता हूँ। इस बार भी मेरा आग्रह है कि हर परिवार में कोई-न-कोई खादी की चीज़ होनी चाहिये, ताकि ग़रीब के घर में दीवाली का दिया जल सके।

प्रधानमंत्री के निवास का नाम बदला गया-

पीएम मोदी बोले कि, मैं पिछले दिनों जहाँ प्रधानमंत्री का निवास स्थान है, जो अब तक अंग्रेज़ों के जमाने से ‘रेस-कोर्स रोड’ के रूप में जाना जाता था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष निमित्त प्रधानमंत्री के निवास स्थान वाले उस मार्ग का नाम ‘लोक कल्याण मार्ग’ कर दिया गया है। वो उसी शताब्दी वर्ष के ‘ग़रीब कल्याण वर्ष’ का ही एक प्रतीकात्मक स्वरूप है।
विजयादशमी पर मन की बात को 2 वर्ष पूरे होगें-

पीएम ने कहा कि, विजयादशमी के दिन ही 2 साल पहले ‘मन की बात’ की मैंने शुरुआत की थी। इस विजयादशमी के पर्व पर 2 वर्ष पूर्ण हो जाएँगे। मेरी ये प्रामाणिक कोशिश रही थी कि ‘मन की बात’ ये सरकारी कामों के गुणगान करने का कार्यक्रम नहीं बनना चाहिए। ये ‘मन की बात’ राजनैतिक छींटाकशी का कार्यक्रम नहीं बनना चाहिए। ये ‘मन की बात’ आरोप-प्रत्यारोप का कार्यक्रम नहीं बनना चाहिए। मैं आज 2 वर्ष इस सप्ताह जब पूर्ण हो रहे हैं, तब ‘मन की बात’ को आपने जिस प्रकार से सराहा, जिस प्रकार से संवारा, जिस प्रकार से आशीर्वाद दिए, मैं इसके लिए भी सभी श्रोताजनों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

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