एडमिशन में कमी, सीटें खाली रहने के डर से निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बैकफुट पर

भोपाल । एडमिशन में कमी और सीटें खाली रहने के डर ने निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बैकफुट पर ला दिया है। छात्रों को इंजीनियरिंग की ओर आकर्षित करने के लिए प्रदेश के 80 फीसदी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने फीस बढ़ाने से इनकार कर दिया है। प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति (फीस कमेटी) में फीस निर्धारण के लिए कॉलेजों की ओर से आए प्रस्तावों में यह खुलासा हुआ है।

इसमें इंजीनियरिंग कॉलेजों ने फीस को जस की तस रखे जाने की मांग की है। इससे उलट मेडिकल कॉलेजों ने 100 फीसदी से अधिक फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव कमेटी को दिया है। कमेटी अभी कॉलेजों की बैलेंस सीट जांच रही है। इसके बाद तकनीकी शिक्षा वाले कोर्सों की नई फीस तय की जाएगी। कमेटी को इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी, एमसीए, एमबीए, एमबीबीएस, बीडीएस सहित अन्य शिक्षण संस्थानों की फीस तय करना है। इसके लिए कमेटी ने 18 फरवरी से कॉलेजों से आय-व्यय के साथ प्रस्ताव मंगाए हैं। पहली बार कमेटी ने फीस निर्धारण के लिए ऑनलाइन प्रस्ताव बुलाए हैं।

फीस कमेटी को अगले तीन साल तक की फीस का निर्धारण करना है। इसके लिए आए इंजीनियरिंग के 550 से ज्यादा कॉलेजों ने फीस नहीं बढ़ाए जाने का प्रस्ताव कमेटी को दिया है। अभी यह है इंजीनियरिंग की फीस पिछले तीन शिक्षण सत्रों से इंजीनियरिंग की न्यूनतम फीस 18,500 और अधिकतम 35 हजार रुपए थी। अगले तीन सत्रों में भी अधिकतम फीस यही रह सकती है।

कमेटी प्रस्तावों के आधार पर कुछ ही कॉलेजों की फीस में बढ़ोतरी करेगी। एमबीबीएस के लिए 10 लाख तक की डिमांड प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों ने एमबीबीएस की फीस में 100 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी की मांग रखी है। अभी एमबीबीएस की अधिकतम सालाना फीस 4 लाख रुपए है। मेडिकल कॉलेजों ने अधिक खर्चे का हवाला देते हुए इस फीस को 10 लाख रुपए तक किए जाने की मांग रखी है।

इनका कहना है

बैलेंस सीट के आधार पर इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य शिक्षण संस्थानों की फीस बैलेंस सीट के आधार पर तय होगी। हम पहले इनकी जांच कर लें, फिर नई फीस घोषित करेंगे।

-प्रो. टीआर थापक, चेयरमैन, फीस कमेटी

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