New Delhi : पठानकोट आतंकी हमले के कवरेज को लेकर हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया पर 9 नवंबर को एक दिन का प्रतिबंध लगाने का आदेश सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टाल दिया है। ऐसा चैनल के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने के बाद किया गया। बता दें कि चैनल ने प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
सूत्रों के अनुसार एनडीटीवी के सह प्रमुख प्रणय रॉय सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू से मिले और आदेश से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की। रॉय ने फैसले की समीक्षा की मांग की और कहा कि तब तक आदेश को स्थगित कर देना चाहिए। नायडू ने उनका अनुरोध मान लिया और मंत्रालय फैसले की समीक्षा करेगा और तब तक के लिए आदेश स्थगित कर दिया गया।
बता दें कि एनडीटीवी लिमिटेड ने सरकार के आदेश की संवैधानिक वैधता तथा उस कानून के प्रावधानों को चुनौती दी है जिसके तहत आदेश जारी किया गया है।
जगह-जगह विरोध
चैनल पर पाबंदी के फैसले के विरोध में सोमवार को जगह-जगह प्रदर्शन किए गए। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया समेत तमाम मीडिया समूहों ने पाबंदी का विरोध किया। मध्यप्रदेश के भोपाल में माकपा ने प्रदर्शन किया जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ ने इसे नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया।
आरोप-प्रत्यारोप
इससे पहले, एनडीटीवी इंडिया पर पाबंदी को लेकर सोमवार को भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के दौरान पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र घने अंधकार के दौर से गुजर रहा है। टीवी चैनलों को सजा दी जा रही है और उनसे प्रसारण बंद करने को कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अगले संसद सत्र में एनडीटीवी इंडिया पर पाबंदी का मुद्दा भी उठाएगी। इस पर पलटवार करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों को लेकर हाय तौबा मचाने की जरूरत नहीं है, जिसके शासन में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। भारतीय लोकतंत्र पहले कभी इतना जीवंत नहीं रहा, जितना अब है। संप्रग सरकार के समय में 21 चैनलों पर पाबंदी लगाई गई थी। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा पाबंदी कानून के मुताबिक लगाई गई। भाजपा मीडिया के स्वतंत्रता का सम्मान करती है।
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