ऑनलाइन वेब पोर्टल से 3,16,682 आवेदकों को मिला गुमाश्ता

अब 24 घंटे में मिल जाता है गुमाश्ता 

भोपाल :मध्यप्रदेश में ऑनलाइन वेब पोर्टल से गुमाश्ता लायसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। वर्ष 2013-14 से शुरू इस प्रक्रिया से अब तक 3 लाख 16 हजार 682 आवेदकों को लाभान्वित किया गया है। पिछले दिनों इसे और सरल बनाते हुए अब आवेदन करने के 24 घंटे में संबंधित को गुमाश्ता लायसेंस देना निश्चित किया गया।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम के तहत ट्रेडिंग और सेवा आदि व्यवसाय और दुकान के लिये गुमाश्ता लायसेंस प्राप्त करना जरूरी है।

गुमाश्ता लायसेंस प्राप्त करने वाले हितग्राहियों से हुई चर्चा में पता चला कि अब उन्हें पहले की तरह किसी शासकीय कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है। अपने नजदीक के एम.पी. ऑनलाइन कियोस्क से वे आवेदन कर सकते हैं। इतवारा भोपाल के श्री राजेन्द्र शर्मा बताते हैं कि पहले तो बैंक में चालान जमा करना भी टाइम टेकिंग प्रोसेस थी। चालान जमा कर आवेदन की पूर्ति करना, फिर आवेदन के साथ डाक्यूमेंट लेकर श्रम विभाग के दफ्तर जाना और श्रम विभाग द्वारा जाँच के बाद गुमाश्ता जारी होता था, जो महीने से ज्यादा का समय लेता था। अब यह सब नहीं होता। सुबह आवेदन जमा करें। एम.पी. ऑनलाइन वाला बिजली का बिल, आधार-कार्ड और दुकान के साथ वाली फोटो स्केन करके ओरिजनल डाक्यूमेंट वापस कर देता है। वही चालान भी जमा कर देता है। इस पूरी प्रक्रिया में 5-7 मिनट लगते हैं और एक दिन के भीतर मोबाइल पर एसएमएस मिल जाता है कि गुमाश्ता बनकर तैयार है।

कोटरा, भोपाल निवासी श्री अशोक जैन के पुत्र श्री सुरेश जैन ने बताया कि उनके पिताजी को अपनी दुकान का गुमाश्ता बनवाने में किसी से मदद नहीं लेना पड़ी। एम.पी. ऑनलाइन से एक दिन में गुमाश्ता मिल गया।

अब बहुत सहज है गुमाश्ता बनना : मो. फैज

शहीद नगर भोपाल निवासी मो. फैज का अनुभव है कि डिरिंग म्यूजिककार वर्कशॉप दुकान का गुमाश्ता उन्हें एक दिन में मिल गया है। प्रक्रिया पूरी करने में उन्हें 13 मिनट और घर से चंद कदमों की दूरी पर स्थित एम.पी. ऑनलाइन से यह प्रक्रिया उन्होंने पूरी की। अब वह मानने लगे हैं कि सरकार व्यापारियों के हित में काम कर रही है। बैंक में करेंट अकाउंट खुलवाने, जीएसटी नम्बर लेने और नगर निगम सहित कई दफ्तरों के लिये जरूरी गुमाश्ता लायसेंस इतनी सहजता से बनाया जा रहा है जो उनकी राय में पहले कभी संभव नहीं था।

 

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