कानपुर-झांसी में बरामद विस्फोटकों का ‘रोहतास कनेक्शन’

अफ़रोज़ आलम साहिल, Httvnews.com

आगे कुछ भी जानने के पहले एक विशिष्ट घटनाक्रम पर नज़र डालें, जिसमें विस्फोटकों की बड़ी मात्रा बिहार के एक ख़ास इलाके से बरामद की जा रही है.

आगे कुछ भी जानने के पहले एक विशिष्ट घटनाक्रम पर नज़र डालें, जिसमें विस्फोटकों की बड़ी मात्रा बिहार के एक ख़ास इलाके से बरामद की जा रही है.

12 दिसम्बर, 2009 : रोहतास पुलिस ने मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अमरा तालाब (बढ़ईयाबाग) इलाक़े में चार बंद घरों से विस्फोटक का ज़खीरा बरामद किया. इस ज़खीरे में 60 हज़ार डेटोनेटर, 55 क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट, 32 डिब्बे जिनेटर, 4 हज़ार सेफ्टी फ्यूज़, 10 बोरा इलेक्ट्रीक वायर शामिल था. इससे पूर्व भी रोहतास पुलिस इसी अमरा तालाब और धौडाढ़ से विस्फोटक ज़ब्त कर चुकी है.

13 फ़रवरी, 2014 : रोहतास के डेहरी नगर थाना क्षेत्र से 48 क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया. इस मामले में एक संदिग्ध व्यक्ति की भी गिरफ्तारी हुई.

07 मार्च, 2014 : रोहतास के कंचनपुर क्षेत्र में गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की गई, जिसमें एक घर से 20 थैलों में 10 क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट और 80 डेटोनेटर बरामद किया गया था. इस मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई थी.

15 जून, 2014 : वाराणसी के लंका थाने के डाफी में टोल टैक्स के पास वाहन चेकिंग के दौरान बिहार जा रही कार से 1.45 क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ. कार में सवार दो युवक पुलिस को चकमा देकर भाग निकले. कार की तलाशी में एक ड्राइविंग लाइसेंस मिला, जिसपर विमलेश कुमार के रोहतास का पता लिखा था.

20 जुलाई, 2014 : रोहतास के चुटिया थाना क्षेत्र में चलाए गये कांबिंग ऑपरेशन में जिला पुलिस व सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने भारी मात्रा में विस्फोटक व हथियार बरामद किया. इनमें तीन राइफल, एक रिवॉल्वर, 20 डेटोनेटर व एक किलो बारूद शामिल है.

28 जुलाई, 2014 : रोहतास के मुफ़स्सिल थाना क्षेत्र में बांसा गांव में पुलिस ने छापेमारी कर 13,900 डेटोनेटर और बड़ी मात्रा में बिजली के तार बरामद किए थे.

01 अगस्त, 2014 : रोहतास के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बड़हियाबाग इलाके से 3,550 डेटोनेटर, 1,791 जिलेटिन की छड़ें और पांच किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट समेत बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया.

07 अगस्त, 2014 : रोहतास के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पुलिस ने करबंदिया इलाक़े में छापेमारी कर 4,225 डेटोनेटर, 1,200 जिलेटिन की छडें तथा 15 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया. इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया था.

03 अप्रैल, 2015 : रोहतास के ही नवहट्टा थाना क्षेत्र से पुलिस ने 2350 डेटोनेटर, तीन राइफल, एक पिस्तौल, 50 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, 50 पीस जिलेटिन सहित कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए थे. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 14 मार्च को भी चूनहट्टा गांव से पुलिस ने 7,000 डेटोनेटर, दो क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट, एक कार्बाइन, तीन ग्रेनेड सहित कई विस्फोटक सामान बरामद किया था. साथ में एक व्यक्ति की भी गिरफ़्तारी हुई थी.

13 जुलाई, 2016 : रोहतास के सासाराम सिविल कोर्ट में बम विस्फोट हुआ. यह घटना दिन के तक़रीबन सवा दो बजे तब घटित हुई जब एक युवक अपने मोटरसाईकिल से रोहतास सिविल कोर्ट के बगल वाली सड़क से जा रहा था और उस मोटरसाइकिल में रखा बम फट गया. इस विस्फोट में दो लोगों की मौत हुई थी. यहां स्पष्ट रहे कि इससे पूर्व भी 11 मार्च 2016 को तक़रीबन इसी घटनास्थल पर सिविल कोर्ट के बाहर परशुराम पान दुकान के सामने एक बम धमाका हुआ था. इस विस्फोट के बारे बताया जाता है कि यह धमाका कोर्ट में ही कार्यरत अधिवक्ता लिपिक विजय शंकर सिंह के बैग में हुआ था. इस घटना में दो लोग घायल हुए थे. इससे तीन साल पूर्व भी इसी कोर्ट परिसर एक बार और विस्फोट हो चुका है.

18 जुलाई, 2016 : रोहतास के सासाराम पुलिस ने विस्फोटकों के जखीरा पकड़ा. इस जखीरे में दो राइफल, दो पिस्टल, दर्जनों ज़िन्दा कारतूस, 28 हज़ार इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर, 16 पैकेट अमोनियम नाइट्रेट और 20 पीस जिलेटीन तार शामिल थे. साथ में चार लोग भी गिरफ़्तार हुए.

ऊपर की तमाम घटनाएं एक पैटर्न की ओर इशारा करती हैं. ये पैटर्न बेहद ही घातक है. इसका सीधा सरोकार एक स्थान विशेष से है और यह एक सुनियोजित व संगठित अपराध-तंत्र के राज खोलता नज़र आ रहा है. मगर पुलिस ने इस दृष्टि से कभी जांच ही नहीं की. पुलिस हमेशा इसे नक्सलवाद या माईनिंग से जुड़े विवादों की आड़ में रफ़ा-दफ़ा करती आई है. यही वजह है कि तह तक जाकर जांच की कभी कोई क़वायद ही नहीं की गई. और यह ‘रोहतास कनेक्शन’ सिर्फ़ चंद स्थानीय मीडिया की कतरनों तक सिमट कर रह गया.

असल में इस ‘रोहतास कनेक्शन’ का ताल्लुक़ एक समुदाय विशेष के लोगों से नहीं है. शायद यही वजह है कि न तो इस मसले को हाईलाइट किया जा रहा है और न ही यह राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन रहा है.

अब उत्तर प्रदेश एटीएस और कानपुर क्राइम ब्रांच ने संयुक्त अभियान में 25 अगस्त को कानपुर के घाटमपुर से विस्फोटकों का बड़ा ज़खीरा बरामद किया गया, जिसमें 30 हज़ार डेटोनेटर, 20 हज़ार जिलेटिन राड तथा 600 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट शामिल है. उत्तर प्रदेश के कानपुर और झांसी में पकड़े गए विस्फोटकों के इस जखीरे का भी रोहतास के साथ कनेक्शन सामने आ रहा है.

वहीं झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अब्दुल हमीद के कुशल निर्देशन में 25 अगस्त को ही थाना मोंठ क्षेत्र के टोडी मडैया गांव में एक निर्माणाधीन आवास और इसी आवास से सटे एक कमरे से 92 बोरी अमोनियम नाइट्रेट, 800 अदद प्लेन डेटोनेटर, 2 हज़ार अदद ख़राब प्लेन डेटोनेटर, 3 हज़ार अदद इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर, 2 हज़ार अदद डीटीएच (बड़ी ब्लास्टिंग) और 4030 जिलेटिन रॉड बरामद किए गए.

इन दोनों मामलों में कुल 6 लोग गिरफ़्तार किए गए. पहले एटीएस ने कानपुर से पांच लोगों की गिरफ़्तारी की बात कही थी, लेकिन बाद में चार लोगों की गिरफ्तारी दिखाई गई. एटीएस के आईजी का कहना है कि घटनास्थल से एक 14 साल का बच्चा भी पकड़ा गया था, जिसे बाद में छोड़ दिया गया. यह चारों बिहार के रोहतास के रहने वाले हैं. इनके नाम निर्भय मिश्रा, विक्रांत सिंह, ओम नारायण और पंकज सिंह है.

झांसी से चरन सिंह की गिरफ़्तारी हुई. इसके अलावा तीन लोगों को इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है. उनके नाम चरन सिंह, राजीव राय, गौरव अग्रवाल और राजेन्द्र यादव हैं.

एक ख़बर के मुताबिक़ इस मामले में एटीएस और क्राइम ब्रांच की कार्रवाई अभी चल रही है, अभी और गिरफ्तारियां हो सकती है तथा और विस्फोटक बरामद होने की उम्मीद है.

यहां ग़ौर करने करने वाली बात यह है कि ये सिर्फ़ दो घटनाओं तक का सिलसिला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सिलसिलेवार कड़ी छिपी हुई है. उससे भी अधिक ग़ौर करने वाली बात यह है कि पुलिस की इतनी बड़ी सफलता और फिर इस मामले में 6 लोग गिरफ़्तारी के बाद भी ये ख़बर किसी चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ में देखने को नहीं मिली.

यहां कई सारे सवाल खड़े होते हैं. आख़िर क्यों इतनी मात्रा में विस्फोटकों की बरामदगी और उसका रोहतास से सीधा कनेक्शन किसी न्यूज़ चैनल या राष्ट्रीय अख़बार की सुर्खियों में शामिल नहीं है? ऐसा क्यों है कि एक ख़ास धार्मिक पहचान के लोगों को ही चरमपंथी बनाकर पेश किया जाता है, मगर जैसे ही इस तरह की घटना में दूसरे समुदाय के लोग पाए जाते हैं, उन पर वह पैनी नज़र नहीं रखी जाती? प्रश्न यह भी है कि क्या कोई माहौल ख़राब करने की कोई बड़ी साज़िश रची जा रही है? क्या कोई समूह देश में बड़े स्तर पर अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है? कहीं यह आगामी यूपी चुनाव को प्रभावित करने की सुनियोजित साज़िश तो नहीं है? क्या यह किसी धर्म-विशेष का हित साधने का संयंत्र है? क्या इसकी आड़ में सियासत की भरी-पूरी फ़सल को काटने की ज़मीन तैयार की जा रही है? क्या बिहार के रोहतास में बम बनाने का कोई बड़ा धंधा चलाया जा रहा है, जिसमें कोई संगठन लिप्त है? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब मिलना बेहद ज़रूरी है. वो भी उस दौर में जब एक बड़ा तबक़ा नफ़रत और नाइंसाफ़ी के बोझ के तले दबे जा रहा है.

 

 

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