कामकाज सही नहीं होने पर वेतन नहीं बढ़ेगा

केंद्र ने सातवें वेतन आयोग की उस महत्वपूर्ण सिफारिश को भी मान लिया है जिसमें सेवा के 20 सालों के दौरान संतोषजनक प्रदर्शन नहीं करने वाले कार्मिकों की वार्षिक वेतनवृद्धि रोक दी जाएगी। ऐसे कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया जाएगा।

आयोग की रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की गई थी यदि कोई कार्मिक सेवा के पहले बीस सालों के दौरान अच्छा कार्य नहीं कर पाता है जिसके चलते उसे प्रोन्नति नहीं मिल पाती है। या प्रोन्नति की जगह एमएसपी योजना का लाभ नहीं मिलता है तो यह माना जाएगा कि उसका कामकाज संतोषजनक नहीं है।

एमएसीपी के तहत कार्मिक को आर्थिक रूप से प्रोन्नति दी जाती है। ऐसा तब होता है जब प्रोन्नति के लिए पद खाली नहीं होते है। विभागीय कार्रवाई के चलते जिन मामलों में प्रोन्नति रुकी होगी, उन्हें इस योजना के हिस्से में शामिल नहीं किया जाएगा। मूलत: यह योजना अयोग्य कर्मियों से निपटने के लिए लाई गई है।

सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि वेतन आयोग की यह सिफारिश लागू भी हो गई है। अब ऐसे कर्मियों को सालाना वेतनवृद्धि नहीं मिलेगी। आयोग ने सालाना तीन फीसदी वेतनवृद्धि की सिफारिश की है, जो स्वीकार हो चुकी है। इस फैसले के बाद बीस साल की सेवा के बाद सरकारी कार्मिकों के कामकाज की समीक्षा का रास्ता साफ हो गया है। यह प्रावधान छोटे-बड़े सभी कार्मिकों पर लागू होगा। इसमें कहा गया है कि ऐसे कार्मिकों को वेतनवृद्धि रोकने के साथ ही वीआरएस का विकल्प दिया जाएगा।

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