कार या बाइक खरीदने जा रहे हैं, ध्यान रखें कुछ बातें …

अगर आप नई कार या फिर मोटरसाइकिल खरीदने जा रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। आम तौर पर किसी भी कार या बाइक जो भी आप खरीदने जा रहे हैं या प्लान कर रहे हैं, उसे आपने आपके दोस्त या किसी परिचित या फिर टीवी पर विज्ञापन में देखा होगा। अगर आपके दोस्त या परिचित के पास वह है तो आपको करीब-करीब उसकी आॅरिजनल प्राइस और अन्य फायदें और कमियों के बारे में पता चल जाएगा।

लेकिन अगर आपने उसे केवल सुना है या टीवी पर देखा है तो दोस्तो, पर्देे पर हर चीज अच्छी ही दिखती है, लेकिन वास्तव में वह वैसी ही हो, ऐसा बहुत कम होता है। वहां जाकर आप अपने आपको ढगा सा महसूस न करें इसलिए यह आर्टिकल खास आपके लिए ही तैयार किया गया है।

ज्यादातर लोग कार या बाइक की का प्राइस टैग देखकर ही शोरूम में जाते हैं। टीवी या फ्लैक्स पर कार या बाइक का जो प्राइस टैग दिखाया जाता है, वह केवल एक्सशोरूम, प्राइस होती है जिसके आगे या तो स्टार या फिर शर्तें लागू लिखा होता है। जब आप शोरूम में मालूम करने जाते हैं तो आपको पता चलता है कि यह तो टीवी पर दिखाई गई कीमत से काफी ज्यादा है।

 

असल में कंपनी आकर्षित करने के लिए केवल एक्सशोरूम प्राइस टैग ही दिखाती है और इसे ही प्रमोट करती है। इसके बाद में इंशोरेंस, रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स, सर्विस टैक्स और पोल्युशन टैक्स आदि खर्चे अलग होते हैं। अगर बाइक खरीदने जा रहे हैं तो 10 से 15 हजार रूपए और कार खरीदने गए हैं तो 80 हजार से एक लाख रूपए तक ज्यादा हो सकती है। अगर आप फाइनेंस पर कार या बाइक खरीदने जा रहे हैं तो फाइल चार्ज अलग से होगा।

आपको जो प्राइस टैग बताया जाता है या दिखाया जाता है, असल में यह बेस वेरिएंट का एक्सशोरूम प्राइस होता है। बेस वेरिएंट या एंट्री लैवल वेरिएंट केवल एक कार या बाइक होती है, एक्सेसरीज़ के नाम पर यहां कुछ नहीं होता। बाइक की बात करें तो सेल्फ स्टार्ट या डिस्क और अलाॅय यह कुछ नहीं होता है। कार की बात करें तो एसी, पावर विंडो और म्यूजिक सिस्टम यहां कुछ नहीं मिलेगा। केवल आपको कार मिलेगी जिसे आप केवल चला सकते हैं। एक्सेसरीज़ अलग से खरीदने या फिर ऊपर के वेरिएंट की कीमत और बेस वेरिएंट की कीमतों में भी काफी फर्क आ जाता है। ऐसे में आपको लिए यही अच्छा है कि आप पहले पूरी इन्क्वायरी लें और फिर फैसला करें।

जब भी आप किसी प्रोडक्ट को पसंद करें, खरीदने से पहले आपको मोलभाव जरूर कर लेना चाहिए। साथ ही डिस्काउंट की पूरी जानकारी भी लेनी चाहिए। यह आपके फायदे का सौदा हो सकता है। लेकिन अगर आपको लगता है कि पूछने पर सेल्समैन क्या सोचेगा या फिर बड़ी जगह पर ऐसा नहीं होता तो आप गलत हैं। हो सकता है कि आपको कोई छूट न मिले लेकिन यह भी हो सकता है कि आपको कैशबैक याा फ्री एक्सेसरीज जैसी किसी पिछली स्कीम का ही कुछ फायदा मिल जाए। ध्यान रहे कि पैसा आपका ही है जो काफी मेहनत से आया है। यह भी याद रखें कि आप जब 50 रूपए की सब्जी खरीदने भी जाते हैं तो मोल भाव करते हैं तो यहां क्यों नहीं।

कंपनियां अधिक बिक्री के लिए अपने प्रोडक्ट की इतनी पब्लिसिटी करती हैं कि लोगों की जुबान पर केवल उसका ही नाम रह जाता है। ऐसे में लोग केवल नाम के पीछे भागते हैं। हमारी आपको सलाह यही है कि पहले आप टेस्ट ड्राइव लें। बाइक हो या कार, टेस्ट ड्राइव जरूर करें। कई बार नई और पुरानी गाड़ी चलाने का अनुभव अलग-अलग होता है, इसलिए ज्यादा अच्छा होगा कि आप कई शोरूम पर जाकर नई और पुराने कार या बाइक की टेस्ट ड्राइव लें और फिर फैसला करें।

अकसर शोरूम पर मौजूद सेल्समैन ग्राहकों को हिडन चार्जेज के बारे में नहीं बताते। कार का बाॅडी कलर, एक्सट्रा एक्सेसरीज़, हैलमेट, इंजन गार्ड आदि कई इस तरह की चीजे होती है जिनका प्राइस कार के प्राइस टैग में शामिल नहीं होता। इसके अलावा, जब आप फाइनेंस कराते हैं तो फाइल चार्ज या एग्रीमेंट चार्ज आपको बताया नहीं जाता। बाद में जबरन आप पर यह थौपा जाता है जिससे आप अपने आपको ढगा सा महसूस करते हैं। आपको यही सलाह दी जाती है कि आप पहले ही सेल्समैन से एक्स्ट्रा हिडन चार्जेज के बारे में पूछ लें।

हालांकि एक सेल्समैन को अपनी कार या बाइक बेचनी ही होती है लेकिन फिर भी उन्हें प्रोडक्ट के बारे में निश्चित ही आपसे ज्यादा जानकारी होती है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप सेल्समैन से भी राय करें कि क्या यह प्रोडक्ट ठीक है या अगर वह आपकी जगह होते तो कौनसा प्रोडक्ट या वेरिएंट खरीदते और क्यों। हो सकता है उनकी पसंद या उनका तर्क आपको बेहतर आॅप्शन दे।

यह सही है कि शोरूम पर बहुत सारी गाड़ियां खड़ी होती हैं और आप सभी की कीमत और स्पेक्स नहीं जान सकतें। लेकिन एक तरीका है कि आप अपनी पसंद के आसपास वाले प्रोडक्ट के बारे में जान सकते हैं। हो सकता है आपको और भी अच्छा विकल्प मिल जाए। आपको करना सिर्फ इतना सा है कि सेल्समैन से आॅप्शन पूछें। इसके अलावा भी कुछ और का आॅप्शन अगर आप पूछेंगे तो हो सकता है कि आपको इससे बेहतर कुछ मिल जाए, नहीं तो आपका विकल्प आपके हिसाब से बेहतर तो है ही।

कार या बाइक खरीदने के बाद ही आपका काम खत्म नहीं हो जाता, आॅफ्टर सेल्स भी आपके लिए उतनी ही जरूरी है। गाड़ी लेकर सीधे ही घर न पहुंच जाए, बल्कि स्पेक्स की जानकारी भी लें। इसके साथ ही सर्विस कहां और कितने किलोमीटर पर करानी है, पहली सर्विस में डिस्काउंट या पिक-ड्राॅप फेसेलिटी के साथ कितना लगेगा और साथ ही रोड असिस्टेट की सुविधा के बारे में भी पूछ लेना चाहिए। हालांकि यह आपको वक्त की बरबादी लगेगा या हो सकता है कि आपको लगे कि सेल्समैन क्या सोचेगा। लेकिन आपकी यह जानकारी आपके आडे वक्त में काम आ सकती है।

 

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