केंद्र सरकार ने बुधवार को कोख के व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगाने वाले बिल को मंजूरी दे दी। कोई विदेशी या एनआरआई किराये पर कोख नहीं ले पाएगा। भारत में सिर्फ कड़े नियमों के तहत नजदीकी रिश्ते में सेरोगेसी की इजाजत होगी।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2016 को हरी झंडी दिखाई गई। दरअसल, फिल्मी कलाकारों, विदेशियों और अमीरों ने कोख खरीदकर संतान पैदा करने का बड़ा बाजार खड़ा कर दिया है। इसी को नियंत्रण में करने के लिए सरकार यह बिल लेकर आई है।
केंद्र ने इस मामले में मंत्रियों का समूह गठित किया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समूह की अध्यक्ष थीं। उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि विदेशों से बड़े पैमाने पर लोग सेरोगेसी कराने भारत आ रहे थे।
कई बार लड़की होने पर उसे छोड़ देते थे। जुड़वा होने पर एक बच्चे को नहीं अपनाना और विकलांग होने पर बच्चे को छोड़ देना आम बात हो गई थी। इसके अलावा संपन्न महिलाएं प्रसव पीड़ा से बचने के लिए भी सेरोगेसी करा रही थीं।
-सिर्फ निसंतान भारतीय दंपतियों को ही किराये की कोख के जरिए बच्चा हासिल करने की अनुमति होगी। इस अधिकार का इस्तेमाल विवाह के पांच वर्ष बाद ही किया जा सकेगा।
-एनआरआई और ओसीआई कार्ड धारक इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे
-अविवाहित युगल, एकल माता-पिता, लिव इन पार्टनर और समलैंगिक किराये की कोख से बच्चे हासिल नहीं कर सकते
-एक महिला अपने जीवनकाल में एक ही बार कोख किराये पर दे सकती है
कानून बनने के दस महीने के भीतर प्रावधान लागू होंगे।
इस व्यवस्था के नियमन के लिए केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और प्रदेशों में राज्य सरोगेसी बोर्डों का गठन किया जाएगा।
13,400 करोड़ का सालाना बाजार बन गया देश में
03 हजार के करीब सरोगेसी क्लीनिक भारत में
25 हजार से ज्यादा बच्चे इस तरीके से जन्म ले रहे सालाना
50 प्रतिशत से ज्यादा सरोगेसी चाहने वाले विदेशी दंपति
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