कड़े सेरोगेसी बिल पर सरकार का रुख नरम

किराए की कोख (सेरोगेसी) विधेयक पर आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने अपने रुख में थोड़ा बदलाव किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने विशेष रूप से प्रेस कांफ्रेस बुलाकर कहा कि यह अंतिम नहीं है बल्कि स्थाई समिति में विधेयक पर अच्छे सुझावों का स्वागत किया जाएगा।

नड्डा ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश कर इसे स्थाई समिति को भेजा जाएगा। तब इसमें अच्छे और उपयोगी सुझावों का शामिल किया जाएगा। माना जा रहा है कि स्थाई समिति की सिफारिश पर सरकार विधेयक में कुछ अहम बदलाव कर सकती है।

बुधवार को कैबिनेट ने विधेयक को मंजूरी प्रदान की थी। विधेयक में व्यावसायिक सेरोगेसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है।

एकल अभिभावक, अविवाहितों, तलाकशुदा, विधवाओं तथा समलैंगिकों के लिए इस सुविधा पर रोक लगाई गई है।

इस विधेयक के प्रावधानों की चिकित्सा समुदाय ने भी आलोचना की है। चिकित्सक समुदाय ने इसे आधुनिक समाज के विरुद्ध बताया। खासकर एकल अभिभावक को इस सुविधा का लाभ देने से रोकने और सेरोगेट मदर का नजदीकी रिश्ते में होना अनिवार्य करने का विरोध हो रहा है।
नड्डा ने विधेयक की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि तीन कारणों से यह तैयार किया गया है। एक सेरोगेट मदर का शोषण न हो, दूसरे, सेरोगेट बच्चे को छोड़ा नहीं जाए तथा तीसरे सेरोगेसी का व्यावसायीकरण नहीं हो। व्यावसायिक सेरोगेसी का मसला कई बार संसद और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया था और सरकार ने इसे रोकने का आश्वासन दिया था।
एकल अभिभावक को बच्चा गोद लेने की अनुमति है, लेकिन सेरोगेसी की अनुमति नहीं दी गई है। पुरुष एकल अभिभावक सिर्फ लड़का ही गोद ले सकता है, जबकि महिला एकल अभिभावक सिर्फ लड़की ही गोद ले सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सेरोगेसी में यह इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि एकल अभिभावक के लिए बच्चे के लिंग का चयन नहीं किया जा सकता। इसलिए एकल अभिभावक को सेरोगेसी नहीं गोद लेने का विकल्प रहेगा।
सेरोगेट मदर बनने के लिए नजदीकी रिश्तेदार होना आवश्यक है। लेकिन नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा बाद में तय होगी। नड्डा ने कहा कि स्थाई समिति में भी इस पर सुझाव आएंगे। यह पूछे जाने पर कि नजदीकी रिश्तेदार में पारिवारिक मित्र होंगे या नहीं, उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा होगी। दरअसल, अंगदान कानून में पारिवारिक मित्र का विकल्प है। दूसरे, नजदीकी रिश्ते में सेरोगेसी से कानूनी विवाद बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।
विधेयक में सेरोगेट मदर को किसी भी प्रकार की धनराशि देने की मनाही की गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि रिश्तेदारी में भी कोई महिला सेरोगेट बनती है तो उसके मेडिकल, पौष्टिक आहार, यदि वह कामकाजी है तो छुट्टियों से होने वाली क्षति आदि की भरपाई कैसे होगी। विधेयक में इसका कोई जिक्र नहीं है। नड्डा ने कहा कि इसे भी देखेंगे।

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