गाँव-गाँव शौचालय बनाते फिर रहे नीतीश कुमार और राजधानी के टॉयलेट का हुआ यह हाल!

हितेश कुमार. गुरु गोबिंद सिंह के 350 वें जयंती समारोह पर पटना में आयोजित प्रकाश पर्व के मौके पर नगर निगम द्वारा पटना के विभिन्न इलाकों में सैकड़ों पेशाबघर घर बनाया गया था. आज उस पेशाब घर का हालत इतनी बुरी है कि लोग वहां पेशाब करने तो जरूर जाते हैं लेकिन वहां की गंदगी से मजबूर होकर रोड के खुले किनारे पर पेशाब करने को मजबूर होते हैं.

सवाल यह उठता है कि यह पेशाब घर के लिए खर्च हुए करोडों रुपए से बना पेशाब घर पटना के लोकल वासियों के लिए नहीं है. क्या यह केवल प्रकाश पर्व पर बाहर से आए लोगों के लिए ही थे या फिर सिर्फ दिखावे के लिए. अगर प्रकाश पर्व में आये लोगों के लिए थे तो फिर इसको सड़कों से हटाया क्यों नहीं गया.
निश्चय यात्रा के तहत नीतीश कुमार गाँवों में जाकर लोगों से शौचालय बनाने और उपयोग करने की अपील कर रहे हैं जो कि हम सभी को अच्छा भी लग रहा हैं लेकिन हमारे शहर के टॉयलेट का हालत बद से बदतर हैं. क्या इससे बिहारी नहीं फैलती? करोड़ो रूपये खर्च कर टॉयलेट बना दिया गया लेकिन उसकी सफाई और देखभाल करने वाला कोई नहीं हैं फिर पैसा बर्बाद ही हुआ न?

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