गुरू वचन को आत्म-सात कर जीवन धन्य करें

दतिया में शिक्षक सम्मान समारोह में जनसंपर्क मंत्री डॉ. मिश्रा

भोपाल : हमारे देश में गुरूजनों की आकाश गंगा रही है। डॉ. राधाकृष्णन दैदीप्यमान सितारे थे। उनके गरिमामय व्यक्तितत्व से शिक्षक समुदाय गौरवान्वित है। उनका व्यक्तित्व प्रेरणा देता है। जनसंपर्क, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने यह बात आज वृंद्धावन धाम, दतिया में सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर शिक्षक सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि मैं आज शिक्षकों का सम्मान नहीं कर रहा अपितु स्वयं सम्मानित हो रहा हूँ। शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है इस नाते शिक्षक समाज का यह दायित्व है कि भावी पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ संस्कारवान भी बनाएँ। भावी-पीढ़ी गुरू वचन को आत्म-सात कर जीवन धन्य करें।guruyजनसंपर्क मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि आज सौभाग्य और सुखद संयोग है कि गणेश चतुर्थी एवं शिक्षक दिवस एक साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने छात्र जीवन का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मेरे गुरूदेव ने मुझसे तीन वचन लिए थे। पहला जहाँ रहो वहाँ लोग तुम्हें प्रेम करें, जहाँ से जाओ लोग तुम्हें याद करें और जहाँ जाने वाले हो वहाँ लोग तुम्हारा इंतजार करें। मेरी कोशिश रहती है कि मैं अपने गुरू की आज्ञा का अंत:करण से पालन करूँ। जीवन में शिक्षा की उपादेयता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि जहाँ एक स्कूल खुलता है वहाँ एक जेलखाना बंद होता है।

इस अवसर पर जनसंपर्क मंत्री डॉ. मिश्रा ने लगभग 550 शिक्षक का पुष्पहार, श्रीफल एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मान किया।

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