अहमदाबाद ! गुजरात की एक विशेष सत्र अदालत ने गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड में दोषी पाए गए 24 लोगों की सजा के ऐलान के लिए 17 जून की तारीख मुकर्रर की है। दंगे में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस बीच, मामले के मुख्य दोषी कैलाश धोबी ने सोमवार को अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया।विशेष अदालत के न्यायाधीश पी.बी.देसाई ने सजा का ऐलान करने से पहले दोषियों का जेल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा था, जिसे सोमवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया।मामले में मुख्य आरोपी ठहराया गया कैलाश धोबी जनवरी से ही फरार था। उसने सोमवार को अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया।
उसे न्यायिक हिरासत में साबरमती जेल भेज दिया गया है। गुलबर्ग हत्याकांड मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) के वकील आर.सी.कोदेकर ने कहा कि दोषियों को 17 जून को सजा सुनाए जाने वक्त अदालत में उपस्थित रहना होगा। इससे पहले अदालत ने उन्हें उपस्थिति से छूट देते हुए कहा था कि जब जरूरत होगी, उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया जाएगा।कोदेकर ने हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 11 दोषियों को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की मांग की है और इसे दुर्लभतम मामले की श्रेणी में रखा है। उन्होंने बचाव पक्ष के वकील के उस तर्क का विरोध किया था, जिसके मुताबिक यह घटना गोधरा दंगे की प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में बदले की भावना की कोई जगह नहीं है।वहीं दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि अदालत को इस बात को संज्ञान में लेना चाहिए कि गुलबर्ग सोसायटी में दंगे का कारण एहसान जाफरी द्वारा गोलीबारी बना, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 15 लोग घायल हो गए। उनके मुताबिक, दोषी पेशेवर अपराधी नहीं हैं।अदालत ने बीते दो जून को कुल 66 आरोपियों में से 24 को दोषी ठहराया था, जबकि 36 को बरी कर दिया था। छह आरोपियों की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। 24 दोषियों में से 11 को हत्या सहित विभिन्न मामलों में दोषी ठहराया गया। एक व्यक्ति को हत्या का प्रयास तथा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता अतुल वैद्य सहित बाकी 12 को मामूली आरोपों जैसे दंगा भड़काने तथा अवैध बैठक करने का दोषी ठहराया गया।अदालत ने आरोपियों पर से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी के तहत आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप को हटा दिया था।गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड गुजरात दंगों के उन नौ मामलों में से एक है, जिसकी जांच सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी कर रही है। यह दंगा 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को जलाए जाने के एक दिन बाद हुआ था, जिसमें 58 कारसेवकों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी।
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