भोपाल। सरकारी सेवा में आने वाले नए डॉक्टर प्रैक्टिस के नाम पर सिर्फ सलाह दे सकते हैं। वे अपने घर में सोनोग्राफी मशीन, एक्सरे मशीन, डेंटल चेयर और अन्य उपकरण रखकर इलाज नहीं कर सकेंगे। हां, 2013 के पहले से जो डॉक्टर अपने घर में ये उपकरण रखे हैं, वे उनका उपयोग कर सकते हैं। स्वास्थ्य संचालनालय ने हाल ही में इसको लेकर निर्देश जारी किए हैं।
प्रदेश सरकार ने सरकारी डॉक्टर्स की प्रैक्टिस के लिए 1999 में नियम बनाया था। इसके शर्त थी डॉक्टर केवल अपने निवास पर पर प्रैक्टिस करेंगे। वे कोई क्लीनिक या नर्सिंग होम नहीं खोल सकेंगे। निवास पर प्रैक्टिस के लिए छोटे उपकरण जैसे स्टेथोस्कोप, आप्थैलमोस्कोप आदि रख सकेंगे।
इस शर्त के बाद भी कई सरकारी डॉक्टरों ने अपने घर पर डेंटल चेयर, सोनोग्राफी मशीन, एक्सरे मशीन, इंडोस्कोप, लेप्रोस्कोप, पैथालॉजी जांच के लिए एनालाइजर जैसे बड़े उपकरण रख लिए। करीब पांच साल पहले यह जानकारी सामने आने के बाद सरकार ने ये मशीन रखकर प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी।
सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कुछ डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने 2013 में इस मामले में आगामी आदेश तक के लिए स्टे दे दिया था। इस आधार पर नए डॉक्टर भी अपनी क्लीनिक में बड़े उपकरण रखने की मांग कर कर रहे थे। लिहाजा, सरकार ने साफ कर दिया है कि नए डॉक्टर ये उपकरण नहीं रख सकेंगे।
मेडिकल कॉलेजों के लिए अलग नियम
एक ही सरकार के अधीन होने के बाद भी डॉक्टरों की प्रैक्टिस के लिए अलग-अलग शर्तें हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अलग से क्लीनिक खोल सकते हैं। वे नर्सिंग होम्स में जाकर सर्जरी कर प्रैक्टिस कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के लिए नियम सख्त हैं।
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