ट्रेनिंग देने लायक नहीं हैं 65 फीसदी ‘इंजीनियर’, आ सकता है बेरोगजारी का संकट

 

मुंबई। आईटी इंडस्ट्री में आए दिन हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय आईटी कंपनी केपजेमिनी इंडिया ने कहा है कि अधिकतर आईटी कर्मचारी इन बदलावों का सामना नहीं कर पाएंगे और नौकरी देश में नौकरी का संकट आ सकता है। केपजेमिनी इंडिया के अनुसार इसका असर सबसे अधिक मिडिल लेवल और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर पड़ेगा। केपजेमिनी इंडिया के चीफ एक्जिक्युटिव श्रीनिवास कांडुला ने कहा है- मैं निराशावादी नहीं हूं, लेकिन यह एक चुनौतीपूर्ण काम है और मैं मानता हूं कि 60-65 फीसदी छात्र ट्रेनिंग देने लायक नहीं हैं। 
केपजेमिनी फ्रांस की एक आईटी कंपनी है, जिसकी भारतीय शाखा में करीब 1 लाख इंजीनियर काम करते हैं।
कांडुला ने यह बात वार्षिक नैसकॉम नेतृत्व समिट में कही है। वह बोले- उनमें से बहुत से लोगों को ट्रेनिंग नहीं दी जा सकती है। हो सकता है भारत में मिडिल लेवल और सीनियर लेवल पर भारी बे रोजगारी का सामना करना पड़े। शिक्षा के स्तर की बात करते हुए कांडुला बोले कि करीब 39 लाख आईटी इंजीनियर लो ग्रेड इंजीनियरिंग कॉलेज से आते हैं, जो कॉलेज सही ग्रेडिंग सिस्टम नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि करीब 15 लाख आईटी कर्मचारियों को फिर से ट्रेनिंग देने की जरूरत है। ये भी पढ़ें- प्रदूषण से भारत में हर मिनट मरते हैं दो लोग, ये रहा सबूत
कांडुला के अनुसार इंजीनियर्स की सैलरी में भी भारी गिरावट आई है। करीब 20 साल पहले फ्रेशर को 2.25 लाख का पैकेज मिलता था, जो अब 3.5 लाख हो गया है, जबकि महंगाई के हिसाब से यह इससे कहीं अधिक होना चाहिए था। वे बोले कि इंजीनियरिंग कर के आए छात्रों की हालत इतनी खराब है कि वे अपने उन विषयों के नाम भी नहीं बता पाते जो पढ़कर वह आए हैं। इससे पहले एक स्टडी के मुताबिक कहा गया था कि 80 फीसदी इंजीनियर नौकरी पर रखने के लायक भी नहीं हैं।

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