नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु में नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के खिलाफ प्रदर्शनों पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षाओं के खिलाफ कोई प्रदर्शन न होने पाए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ की पीठ ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर कहा कि राज्य प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि नीट के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन न हो, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने नीट को बरकरार रखा है।
अदालत ने तमिलनाडु के महाधिवक्ता को 18 सिंतबर को अगली सुनवाई के दौरान इस मामले पर अदालत की सहायता के लिए मौजूद होने का निर्देश दिया है।
अदालत ने यह आदेश शीर्ष अदालत के वकील जी.एस. मणि की एक जनहित याचिका पर दिया, जिसमें इस मामले में अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
नीट में उच्च अंक नहीं ला पाने के कारण 17 वर्षीय दलित छात्र एस.अनीता मेडिकल सीट हासिल नहीं कर पाई थी, जिसके कारण एक सितंबर को उसने तमिलनाडु में आत्महत्या कर ली थी।
उसकी आत्महत्या के बाद, राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया और दो सितंबर को राज्य और केंद्र सरकारों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी।
अनीता एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी थी, जो कि तमिलनाडु के अरियालूर जिले के एक गांव में रहती थी। उसने राज्य परीक्षा बोर्ड के अंतर्गत 12वीं में 1200 में से 1,176 अंक अर्जित किए थे।
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