तीन तलाक पर केंद्र से नाराज उलेमा, कहा- न करें शरीयत कानून में दखलंदाजी

तीन तलाक के मसले पर केन्द्र सरकार से रवैये से बरेलवी मसलक के उलेमा नाराज हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र शरीयत कानून में दखलंदाजी न करे। देश के संविधान ने हर मजहब के लोगों को उनके धर्म के नियमों को मानने और उन पर चलने की पूरी आजादी दी है।

दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता ने कहा कि 14 व 15 अक्तूबर को होने वाले उर्स-ए-नूरी के मंच से आवाज उठाकर केन्द्र से अपील की जाएगी कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में हस्तक्षेप न करे। दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि तीन तलाक का मसला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अन्तर्गत आता है। इस्लाम को लेकर जो दुश्मनी की धारणा रखते हैं उनके उकसावे में आकर एक-दो महिलाओं ने इसके विरोध में आवाज उठाई है।

 

कहा कि इस्लामी शरीयत में यदि किसी ने पत्नी को तीन बार तलाक दे दिया तो उसे जायज माना जाएगा और दोनों के बीच का रिश्ता खत्म हो जाएगा। जमात रजा-ए-मुस्ताफा के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र ने जो पक्ष रखा है वो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान के खिलाफ है।

केंद्र की इस कार्रवाई की हम मजम्मत करते हैं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मामला शरीयत में तय है। शरीयत कानून में बदलाव नहीं किया जा सकता। तीन बार कबूल मंजूर तो तलाक से नाराजगी क्यों मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने कहा महिला जब तीन बार कबूल कहकर एक अजनबी की बीवी बन सकती है तो तीन बार तलाक का विरोध क्यों हैं। विरोध करने वालों को निकाह के दौरान तीन बार कबूल पर भी एतराज होना चाहिए। कहा कि तीन तलाक का जो विरोध कर रहे हैं वे वही हैं जो इस्लाम से नफरत करते हैं। एक-दो ऐसे मुस्लिम हैं जो दूसरे के उकसावे में आकर शरीयत के खिलाफ आवाज उठाते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने की अपील दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि मुस्लिम समाज से अपील है कि वह हुकूमत को यह बात दिखा दें कि हिन्दुस्तान का हर मुसलमान अपने मुल्क के संविधान के साथ इस्लामी शरीयत पर यकीन करता है। हुकूमत से और जिम्मेदारों से अपील है कि भारतीय संविधान में की गई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सुरक्षा की व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश करें। मुस्लिम समाज को यह एहसास न कराएं कि उनकी मजहबी आजादी को खतरे में डाला जा रहा है।

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