दिल्ली: व्यापारियों के समझ नहीं आ रही GST कर नीति, समझाने वाले कर रहे पैसों की मांग

जीएसटी लागू होने के बाद यानी एक जुलाई से राजधानी का व्यापार जैसे ठप्प हो गया है। अन्य राज्यों से माल की खरीददारी करने के लिए दिल्ली आने वाले व्यापारी इन दिनों राजधानी नहीं आ रहे है। थोक बाजारों में सन्नाटे की स्थिति है। दुकानदार समझ नहीं पा रहें हैं कि वे क्या करें! जिन थोक दुकानों पर होलसेल का सामान पड़ा है उनका उसका क्या होगा? उसकी स्थिति साफ नहीं है। दिल्ली का जो बाजार अन्य राज्यों को थोक माल सप्लाई करता था वहां सन्नाट पसरा है। दिल्ली का खुदरा व्यापार का देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है। यहां देशभर का सामान बिक्री के लिए आता है। रातभर सामान से भरे सैंकड़ों ट्रक अन्य राज्यों से दिल्ली आते हैं और फिर से वापस अपने राज्यों में लौट जाते हैं।

ज्यादा स्लैब वाले सामान की बिक्री ठप
व्यापारियों की दूसरी समस्या यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद जिन सामानों के स्लैबों में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, वह सामान तो अभी बिक ही नहीं रहा है। राजधानी में सबसे बड़ा बाजार कपड़े का है। शहर में कपड़ों का रोजाना करोड़ों रुपए का व्यापार था। पर अब कपड़े पर जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ा व्यापारी खुलकर सरकार के विरोध में आ गए हैं। पिछले दिनों कई बार कपड़ा व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। कपड़े के व्यापार पर जीएसटी लगाने के विरोध में मंगलवार 4 जुलाई को भी चांदनी चौक में संपूर्ण हड़ताल रही। कपड़ा व्यापारी जीएसटी के विरोध में 4 से 8 जुलाई तक लगातार सुबह 11 से 1 बजे तक घंटाघर चांदनी चौक पर धरना देंगे। देश में कपड़ा व्यापारियों की सबसे पुरानी संस्था दिल्ली हिंदुस्तानी मर्कंटाइल एसोसिएशन की अपील पर चांदनी चौक का समस्त थोक कपड़ा व्यापार बंद रहा। व्यापारियों ने ऐतिहासिक घंटाघर चांदनी चौक पर इकत्रित होकर धरना दिया।
कश्मीरी गेट में एशिया की सबसे बड़ी आॅटो मोटिव पार्ट्स मार्केट में दुकानदार जीएसटी लागू होने के बाद खाली बैठे हुए हैं। यहां पर 70 फीसद वो व्यापारी हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 2 करोड़ से कम है। इनके सामान पर पहले साढ़े बारह फीसद का कर लगता था।

कंप्यूटर और आॅपरेटर की व्यवस्था से समस्या
जिन व्यापारियों की सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा था, उन्हें एक्साइज ड्यूटी भी देना होता था। अब जीएसटी लागू होने के बाद इस बाजार में रखे सभी सामान पर 28 फीसद कर लगेगा। यहां पर कई दुकानदार तो ऐसे भी हैं, जिनकी दुकान सिर्फ छह फीट चौड़ी और इतनी ही लंबी है। दुकानदार रंजीत सिंह का कहना है कि अब इस छोटी सी दुकान में कंप्यूटर भी लगाना पड़ेगा। उनका कहना है कि पहले तो वह अपनी छोटी सी दुकान पर कंप्यूटर लगाएं, फिर उसे चलाने वाला कोई व्यक्ति देखें। रंजीत का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद उनकी दुकान से एक भी सामान नहीं बिका है। उनका कहना है कि पहले खरीददारी का सारा सिस्टम कंप्यूटरीकृत होगा, तभी तो वे अपना सामान बेच सकेंगे।

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