नाभा जेल से दुर्दांत अपराधियों के फरार होने की असली वजह उड़ा देगा होश!.

पंजाब की नाभा जेल ब्रेक कांड में कैदियों को भगाने वाली इस खबर ने पूरे पंजाब को हिला कर दिया हैं। और ऐसे में देश की सर्वाधिक सुरक्षित जेलों पर जिस प्रकार हमले हो रहे हैं उनसे देश की बड़ी-बड़ी जेलों की हकीकत उजागर हो गई है। खासकर पंजाब की घटना किसी फिल्म की तरह है।

आतंकी फ़िल्मी स्टाइल में अंदर घुसते है और अपने 6 साथियों को खुल्म खुल्ला ले जाते हैं। यह भारतीय जेलों में व्याप्त लचर कार्यशैली को दर्शाता है, जिसकी जड़ है आधी-अधूरी तैयारियां, जेलों में व्याप्त भ्रस्टाचार, व राजनैतिक दखलंदाजी।

गौरतलब हैं कि –
* पहली गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश पुलिस ने शामली से की जहां उसने आतंकी परमिंदर सिंह को गिरफ्तार किया।

 

* दूसरी गिरफ़्तारी आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू की हुई है, उसे दिल्ली और पंजाब पुलिस ने मिलकर गिरफ्तार किया है।

* शायद कुछ समय बाद एक-एक करके सभी फरार आतंकवादियों को पकड़ लिया जाए। लेकिन जेलों से जुड़े प्रश्न यहीं खत्म नहीं होंगे। जब तक इच्छाशक्ति का आभाव रहेगा।

नाभा जेल के लिए लगभग 197 गार्ड के पद स्वीकृत हैं मगर मौजूद केवल 50 गार्ड ही हैं, बताया यह भी जा रहा है कि वारदात के समय 20 कर्मचारी दूसरी जगह तैनात थे। जेल सुरक्षा का हाल इस बात से लगाया जा सकता है कि जेल की सुरक्षा का जिम्मा सरकार ने एक निजी कंपनी पेस्को सिक्योरिटी प्राइवेट एजेंसी को दे रखा है। इस प्राइवेट कंपनी ने जेल सुरक्षा में लगभग 60 से 70 पूर्व सैनिकों को लगा रखा है। जेल की क्षमता 462 कैदी है, जबकि इस समय जेल में 200 कैदी विचाराधीन कैदी हैं।

ऐसा नहीं है की पंजाब पुलिस/सरकार को इस बात की आशंका नहीं रही हो। करीब तीन माह पहले पंजाब की 9 जेलों में सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को 66 मोबाइल फोन मिले थे।

आखिर कहां से भारी मात्रा में मोबाइल जेलो में पहुंच रहे हैं और कौन है इसका जिम्मेवार?
भारत में जेलों के सुरक्षा लगभग भगवान भरोसे ही है। हाल ही में भोपाल में भी इसी तरह की घटना देखने को मिली, जहाँ सिमी के 8 आतंकवादी भोपाल स्थित केंद्रीय जेल की सुरक्षा में सेंध लगाकर फरार हो गए थे। बाद में सभी को पुलिस ने अचारपुरा गांव के पास एनकाउंटर कर मार गिराया था। वहां भी कैदियों की निगरानी के लिए 160 (गार्ड) हैं, लेकिन आधे गार्ड नेताओं, चीफ सेक्रेटरी, जेल मिनिस्टर, एक्स जेल मिनिस्टर, प्रिंसिपल सेक्रेटरी और डीजी के बंगलों पर तैनात थे यानी 50 फीसदी सुरक्षा प्रहरी निजी सेवा में लगाए गए थे।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के दिसंबर 2015 के आकड़ों पर अगर नज़र डाले तो पता चलता है की देश की जेलों में अभी भी डीजी लेवल के 177 पद खली पड़े हुए है, डिप्टी एसपी लेवल के अधिकारियों के लगभग 2036 पद खाली पड़े हुये है। तो कहा से होगी जैलो की सुरक्षा।

पंजाब में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे समय पर आतंकवादियों का फरार हो जाना अकाली-बीजेपी सरकार के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है, खासकर पिछले वर्षों में जिस तरह से अकाली-बीजेपी सरकार की अचानक पूर्व आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति बढ़ी है।

गौरतलब है कि पंजाब सरकार लगातार केंद्र से अपील करती रही है कि पूर्व के आतंकवादियों को छोड़ दिया जाए, इसे देखते हुए लगता है कि पंजाब कांग्रेस मुखिया की शंका व आरोप निराधार नहीं हैं। चुनाव के दौरान ये आतंकी कहीं भी किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं। अगर वो पंजाब पुलिस की वर्दी व हथियारों से लैस हो सकते हैं तो वो इस प्रकार की घटना को पंजाब के अंदर कहीं भी अंजाम दे सकते हैं।

वारदात सुबह-सुबह करीब 10 बजे फिल्मी स्टाइल में हुई। इसके बाद जेल से फरार कुलप्रीत सिंह ने अपना फेसबुक अपडेट किया जिसे दोपहर दोपहर 1।11 बजे अपडेट किया और लिखा कि पुलिस कथित रूप से भोपाल एनकाउंटर की तर्ज पर हमारा एनकाउंटर करना चाहती है।

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