भोपाल। सीहोर जिले को बैरसिया से जोड़ने वाली करीब 15 किमी सड़क जर्जर अवस्था में है। यही हाल सीहोर से श्यामपुर-दोराहा जाने वाली सड़क का है। इन सड़कों पर यातायात का दबाव काफी ज्यादा होने के बाद भी लंबे समय से इनका मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा है। इसके विपरीत जिले की 39 सड़कें ऐसी हैं, जिनका नवीनीकरण पांच साल में तीसरी बार किया जा रहा है, वह भी अलग-अलग फंडों से। सड़कों के साथ यह भेदभाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में हो रहा है। बानगी के तौर पर 22 किमी लंबी सिवनी- घावरीघाट मार्ग को लिया जा सकता है। पांच साल में यह सड़क दो बार बनी और 15.40 करोड़ खर्च हुए। अब तीसरी बार 40.61 करोड़ से इसके नवीनीकरण की तैयारी है।
सीहोर जिले में ऐसी 39 सड़कें हैं, जिनके मेंटेनेंस के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए ठेकेदार व पीडब्ल्यूडी के अफसरों की जेब में जा रहे हैं। इन सड़कों का निर्माण पहले फास्ट ट्रैक योजना, फिर केंद्रीय सड़क निधि और अब एमडीआर प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है।
इतनी जल्दी क्यों खराब हो रही सड़कें
बुदनी और होशंगाबाद में नर्मदा नदी में रेत का बड़े पैमाने पर वैध और अवैध तरीके से उत्खनन हो रहा है। कई सड़कों का निर्माण नर्मदा नदी के किनारे तक इसलिए किया गया है, ताकि डंपरों से रेत का परिवहन आसानी से किया जा सके। इन सड़कों पर दिन-रात डंपर दौड़ते रहते हैं, इसलिए बार- बार ये सड़कें खराब हो रही हैं।
राजधानी परिक्षेत्र में सबसे ज्यादा पैसा खर्च
जानकारों की मानें, तो सबसे ज्यादा पैसा राजधानी परिक्षेत्र भोपाल को आवंटित किया जा रहा है। अन्य परिक्षेत्र ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, सागर, जबलपुर तथा रीवा बहुत पीछे हैं। राजधानी परिक्षेत्र भोपाल में इस वित्तीय वर्ष में 33 सड़कों के निर्माण पर 1348.89 करोड़ जबकि ग्वालियर परिक्षेत्र में 21 सड़कों के निर्माण पर 912.94 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
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