पानी संकट : एशिया के सबसे बड़े फाइबर संयंत्र के चक्के थमे,दस हजार श्रमिक प्रभावित

पानी की कमी से रोजगार की छुट्टी

 

इंदौर ! पानी के संकट से एशिया के सबसे बड़े फाइबर संयंत्र ग्रेसिम उद्योग के चक्के थम गए हैं। अब तक आठ मशीने बंद की जा चुकी है और सोमवार तक सभी 11 मशीनें बंद हो जाएंगी। इससे दस हजार से ज्यादा मजदूर परिवारों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा। अब तक तीन हजार स्थाई श्रमिकों को ले-ऑफ़(छुट्टी) पर भेजा जा चुका है। वहीं सरकार को इससे हर दिन मिलने वाले करीब एक करोड़ रूपए के कर का भी नुकसान उठाना पड़ेगा। उज्जैन जिले के नागदा में स्थित ग्रेसिम उद्योग को बंद करना पड़ रहा है। यहाँ पानी का संकट गहरा गया है। ग्रेसिम उद्योग को चलाने के लिए पानी का बड़ा जरिया चम्बल नदी पर बने बाँध का है।

लेकिन इसमें अब बहुत कम पानी बचा है और इसका उपयोग यहाँ के लोगों को पीने के लिए भी किया जाता है, लिहाजा उद्योग को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सोमवार तक पूरा संयत्र थम जाएगा। इससे तीन हजार श्रमिकों को आधी तनख्वाह तो बाक़ी के श्रमिक पूरी तरह बेरोजगार हो जाएँगे। इसका असर इससे जुड़े डेढ़ सौ सहायक अन्य उद्योगों और इसमें काम कर रहे श्रमिकों पर भी पड़ेगा। मानसून जितनी देरी से आएगा, मजदूरों की दिक्कत उतनी ही बढती जाएगी। नागदा के जलस्तर में बीते 5 सालों में हर साल 15 फीट तक गिरावट आई है। यहाँ 150 नलकूपों में से 80 दम तोड़ चुके हैं तो 30 साँसे भर रहे हैं। अभी चंबल नदी और तालाबों में उपलब्ध 31 एमसीएफटी पानी के इस्तेमाल के बाद अब बाक़ी बचा पानी लोगों की प्यास बुझाने और रेलवे के लिए आरक्षित कर दिया गया है. ग्रेसिम के लिए हर दिन करीब आधा एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है। आम दिनों में यहाँ हर दिन सवा चार सौ टन कृत्रिम फाइबर का उत्पादन होगा। ग्रेसिम उद्योग के प्रबंधक राजेश शर्मा ने बताया कि पानी की कमी के चलते प्रबन्धन को यह फैसला लेना पड़ा है। बीते साल भी ऐसा करना पड़ा था। नदी-तालाबों में पर्याप्त पानी आते ही उत्पादन फिर शुरु करेंगे।

Be the first to comment on "पानी संकट : एशिया के सबसे बड़े फाइबर संयंत्र के चक्के थमे,दस हजार श्रमिक प्रभावित"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!