पेड न्यूज मामला: जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को हाईकोर्ट से नहीं मिला स्टे

ग्वालियर. जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को हाईकोर्ट की एकल पीठ से राहत नहीं मिल सकी. शुक्रवार को कोर्ट ने 23 जून को दिए चुनाव आयोग के उस आदेश पर रोक नहीं लगाई, जिसके तहत उन्हें 3 साल के लिए चुनाव लड़ने अयोग्य घोषित किया है. कोर्ट ने कहा कि अभी केस में स्टे जैसी स्थिति नहीं दिख रही. इसलिए चुनाव आयोग का पक्ष पहले सुना जाएगा. चुनाव आयोग 2 दिन में अपना जवाब पेश करे. पांच जुलाई को फिर से नरोत्तम मिश्रा की याचिका पर सुनवाई होगी. नरोत्तम मिश्रा ने 23 जून को दिए चुनाव आयोग नई दिल्ली के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनकी ओर से दिल्ली के अधिवक्ता ध्रुव मेहता, अधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी, अधिवक्ता जेपी मिश्रा उपस्थित हुए. उन्होंने कहा कि पेड न्यूज साबित नहीं होता है. साक्ष्य भी मजबूत नहीं है. पीपुल्स रिप्रजेंटेंशन एक्ट 10 (ए) के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती. इसलिए चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाई जाए. जब तक चुनाव आयोग का जवाब नहीं आता है, मामले को यथास्थिति में बनाए रखा जाए. याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए राजेन्द्र भारती के अधिवक्ता प्रतीप विसोरिया ने तर्क दिया कि चुनाव ने तथ्यों को परखने के बाद फैसला सुनाया है. यह आदेश अपने आप में पूर्ण है. अगर कोर्ट चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाता है तो एक अयोग्य व्यक्ति फिर से विधायक बन जाएगा. स्टे की आड़ में अपनी विधायकी पूरी कर लेगा. इसलिए चुनाव आयोग के आदेश पर स्टे देने की जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग के अधिवक्ता डीके कटारे ने जवाब पेश करने के लिए समय ले लिया. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई. पांच जुलाई को फिर से सुनवाई होगी. इस दौरान नरोत्तम मिश्रा की स्टे एप्लीकेशन पर बहस होगी. छपवाई थी न्यूज, नहीं दिया था हिसाब नरोत्तम मिश्रा ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान अखबारों में खबरें प्रकाशति कराई थीं, जिनका चुनाव खर्च में ब्यौरा नहीं दिया था. चुनाव आयोग ने 41 न्यूज को पेड न्यूज माना था. 23 जून को चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य घोषित कर दिया था. इस फैसले नरोत्तम मिश्रा तीन साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायत कर्ता पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती, नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकरन मिश्रा, जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव आनंद मिश्रा के पुत्र विवेक मिश्रा मौजूद थे. इसके अलावा सरकार ने अपनी इंटेलीजेंस भी लगा दी थी, जो सरकार को रिपोर्ट कर रही थी.

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