जबलपुर। शहर में नगर निगम बीते सात सालों में मकान बनाने वालों से रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर साढ़े तीन करोड़ रुपयों से ज्यादा की राशि जमा करवा चुकी है.
लेकिन शहर के किसी भी मकान में बारिश के पानी को सहेजकर धरती के भीतर भेजने के उपाय नज़र नहीं आते. ये मध्य प्रदेश की न्यायधानी है। जहां पूरे प्रदेश के लोगों को यहां आकर न्याय मिलता है। लेकिन जबलपुरवासियों के साथ हो रहे अन्याय पर किसी का ध्यान ही नहीं गया। हम बात कर रहे हैं नगर निगम के उस कारनामे की जिसने रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग के नाम पर मकान निर्माण कराने वाले लोगों से धरोहर राशि के रूप में अपने खजाने में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा जमा करा लिए। लेकिन अब तक किसी भी घर में रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है। नगर निगम 1506 से 2,152 वर्गफीट पर 7,000 रुपए.. 2,163 से 3,229 वर्गफीट पर 10,000 रुपए.. 3,239 से 4,305 वर्गफीट पर 12,000 रुपए और 4,316 वर्गफीट से अधिक पर 15,000 रुपए धरोहर राशि के रूप में जमा कराती है। साल 2008 से ही निगम इस मद में फंड जमा करा रही है। हालांकि नगर निगम ने धरोहर राशि से मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने के लिए बीते दिनों एक NGO को चुना था। लेकिन भुगतान की गड़बड़ियों के चलते NGO ने काम छोड़ दिया। याद दिलाने पर निगम सख्ती की बात कह रही है।
तेजी से गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने बारिश के पानी को सहेजकर धरती के भीतर पहुंचाने की अहम योजना बनाई थी। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने 15 दिसंबर 2008 को एक आदेश जारी कर शहरी क्षेत्रों में मकान निर्माण के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया था। लेकिन जबलपुर में शासन के आदेश के अंगूठा दिखाया जा रहा है
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