भोपाल । जेलों में कौन बंदी मोबाइल पर बात करता है, किसे वीआईपी सुविधाएं मिल रही हैं और कौन भागने की फिराक में हैं? प्रदेश की जेलों में ऐसी गड़बड़ियों और संदिग्ध गतिविधियों पर अब विभाग के 100 से ज्यादा इंटेलीजेंस कर्मी ‘हरिराम नाईयों’ की पैनी नजरें होंगी। जोकि जेलों में ऐसी कारगुजारियों की सूचनाएं सीधे जेल मुख्यालय को देंगे। सूचनाआें के आधार जेल विभाग गड़बड़ी करने वाले बंदियों और सहयोग करने वाले जेल कर्मचारियों पर लगाम कस सकेगा। जीहां, आतंरिक सुरक्षा को मजबूत करने जेल मुख्यालय ने इंटेलीजेस और अन्य खुफिया एजेंसियों के तर्ज पर खुदकी इंटेलीजेंस शाखा शुरु कर दी है। जेल इंटेलीजेंस शाखा के इन कर्मचारियों को बकायदा सुचना संकलन और जासूसी के तकनीकी गुर सिखाए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जेल विभाग के इंटेलीजेंस शाखा का पहला बैच ट्रेनिंग पूरी कर चुका हैं। इन खुफिया कर्मचारियों को प्रदेश की 11 केंद्रीय जेलों और करीब 10 जिला जेलों में पदस्थ किया जा चुका है। अगला बैच तैयार होने के बाद प्रदेश की दीगर जेलों में भी खुफिया जेल कर्मी तैनात कर दिए जाएंगे।
इंटेलीजेंस एक्सपर्ट दे रहे ट्रेनिंग
प्रदेश के जेल कर्मियों के लिए गांधीनगर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में रिफरेशकोर्स कराए जा रहे हैं। इसमें आर्म्स ट्रेनिंग के तहत जेलकर्मियों को फायरिंग कराई जा रही है। प्रशिक्षण प्रभारी जेलर एएस सेंगर ने बताया कि गत दिसंबर से जेलकर्मियों के रिफरेशर कोर्स चल रहे हैं। अबतक 600 से ज्यादा जेलकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
इसी बीच करीब एक बैच को पुलिस मुख्यालय के इंटेलीजेंस और निजी एक्सपर्ट से खुफिया जानकारियां एकत्रित करने की ट्रेनिंग दिलाई गई है। यह बैच अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुका है।
खुफिया कर्मचारियों की खबर नहीं होगी जेलर और एसपी तक को
जेल मुख्यालय के अनुसार जेलों में तैनात किए जाने वाले खुफिया कर्मचारियों की जानकारी जेलों के जेलर और अधीक्षकों को भी नहीं होगी। इन कर्मचारियों में प्रहरी, मुख्य प्रहरी और सहायक जेलर स्तर के अधिकारी-कर्मचारी शामिल किए गए हैं। यह कर्मचारी जेलों की गड़बड़ी की सूचनाएं मुख्यालय डीआईजी को देंगे।
जहां से सूचना का प्रतिवेदन एडीजी जेल और फिर जेल डीजी तक पहुंचेगा।
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