फसलों के भाव में उतार-चढ़ाव की चिन्ता से मुक्त हुए किसान

भोपाल :उज्जैन जिले में ग्राम टुकराल के किसान कमल सिंह और ग्राम कोयलखेड़ी के किसान राजेन्द्र सिंह सहित सैकड़ों किसान अब फसलों के भाव में उतार-चढ़ाव की चिन्ता से मुक्त होकर अगली फसल की तैयारी में लग गये हैं। उन्हें यह विश्वास है कि मंडी में फसल का अगर कम भाव मिलेगा, तो राज्य सरकार उनकी मदद करेगी। किसानों में यह विश्वास भावांतर भुगतान योजना की धरातल की सच्चाई से पैदा हुआ है।

तराना तहसील के ग्राम टुकराल के किसान कमल सिंह ने 2700-2800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में अपना सोयाबीन बेचकर संतोष कर लिया था। अभी-अभी 22 नवम्बर को उनके खाते में सरकार के खजाने से 68 हजार रुपये जमा हुए तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बैंक वालों ने उन्हें बताया कि यह राशि इनकी सोयाबीन की बेची हुई फसल के समर्थन मूल्य और मॉडल रेट के अन्तर की राशि है। इस राशि को भावांतर राशि कहते है जो अब राज्य सरकार से उन्हें मिली है। कमल सिंह उज्जैन जिले के प्रगतिशील किसान है। इन्हें भावांतर भुगतान योजना में जिले में सर्वाधिक भावांतर राशि राज्य सरकार ने दी है। कमल सिह बताते है कि पहले तो 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में सोयाबीन बेचनी पड़ी थी। अब भावांतर भुगतान योजना लागू होने से फसलों के भाव में उतार-चढ़ाव की चिन्ता से मुक्ति मिल गई है। अब वे आसानी से कहीं भी अपनी फसल बेच सकेगे।

ग्राम कोयलखेड़ी के किसान राजेन्द्र सिंह ने 15 बीघा में सोयाबीन लगाई थी। उन्होंने 40 क्विंटल सोयाबीन 3 नवम्बर को उज्जैन मंडी में जाकर बेचा। भावांतर भुगतान योजना में पंजीयन कराने के बाद राजेन्द्र सिंह को इस बात की फिक्र नहीं है कि उनका सोयाबीन कम भाव में बिका क्योंकि योजना के दूसरे चरण में उन्हें भावांतर राशि मिलना सुनिश्चित है। राजेन्द्र सिंह की तरह ही उनके गांव के सैकड़ों किसानों को भावांतर भुगतान योजना की राशि सीधे बैंक खातों में मिली है

 

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