बंदरों की बढ़ती आबादी पर जज बोले- तब तो हम लुटियंस दिल्ली से बाहर हो जाएंगे

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि यदि बंदरों की बढ़ती आबादी को रोकने के लिये आपात उपाय नहीं किये गये, तो ”हम लुटियंस दिल्ली से बाहर हो जाएंगे।” कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी हरिशंकर की पीठ ने पाया कि यह समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि बंदरों के गर्भनिरोध के मामले में देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि प्रतिरोधी-गर्भनिरोधक टीका पर शोध के लिये कोष का आबंटन वित्त मंत्रालय की मंजूरी की प्रतीक्षा में है और इसके बाद टीका विकसित करने के लिये शोध और इसके परीक्षण में सात साल और लगेंगे। पीठ ने कहा, ”छोटे अफ्रीकी देशों में टीका है और हमें अभी इसे विकसित करना है? आप लोग इस तत्काल जरूरत पर अपना दिमाग क्यों नहीं लगाते हैं? ‘शिकायत मिली है कि दक्षिणी दिल्ली का असोला अभ्यारण बंदरों की आबादी में बेतहाशा वृद्धि हुई है और अब वे आसपास के इलाकों में भी फैल गए हैं।

जब तक आप टीका विकसित करेंगे, हम लुटियंस दिल्ली से बाहर हो जाएंगे” पीठ ने कहा कि ”जानवरों के गर्भनिरोध के मामले में सात साल तक की देर बर्दाश्त नहीं की जा सकती और इसके लिये आपात उपाय किये जाने की जरूरत है।” पीठ ने कहा कि यदि मंत्रालय कह रहा है कि टीका विकसित करने में सात साल लगेंगे, तो, ”इसका मतलब है कि आप कह रहे हैं कि हम कुछ नहीं कर सकते।” अदालत ने मंत्रालय से पूछा था कि चार प्रमुख जानवर- बंदर, जंगली सूअर, नीलगाय और हाथियों की आबादी के प्रबंधन में उसे अपनी परीक्षण परियोजना के वित्तपोषण में कितना समय लगेगा, जिसके बाद मंत्रालयों ने अदालत को यह जवाब दिया।

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