बसपा व सपा की तरह भाजपा भी बिल्डरों पर मेहरबान

देवेंद्र सिंह

ग्रेटर नोएडा। बसपा व बसपा शासन काल में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों के खजाना खोल दिया था। नियम व कानून को ताक पर रखकर बिल्डरों को भूखंड आबंटित किया गया और किश्त जमा करने में भी छूट दी। उसी का खामियाजा आज लाखों निवेशकों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी ग्रेटर नोएडा निवेशकों की आड़ लेकर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने में जुट गई है। आम आबंटी को लीजरेंट एक मुश्त भुगतान करना पड़ता है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों पर मेहरबानी दिखाते हुए किश्तों में लीजरेंट जमा करने की छूट दे दी है।

हैरत की बात यह है कि प्राधिकरण ने यह नियम तत्काल लागू कर दिया है। ऐसे निर्णय लेने से पहले प्रस्ताव बोर्ड में जाता है। नियम लागू करने के बाद प्राधिकरण बोर्ड में प्रस्ताव ले जाने की बात कर रही है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद लाखों निवेशकों को उम्मीद जागी थी कि उन्हें जल्द फ्लैट पर कब्जा मिलेगा। निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ मंत्रीय समूह का गठन भी किया। दिसम्बर तक 50 निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा देने का आश्वासन दिया गया है। दिसम्बर के अंत तक 50 हजार निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा मिलेगा यह कह पाना मुश्किल है।

अब निवेशकों की आड़ लेकर ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास बिल्डरों को फायदा पहुंचाने में लगा हुआ है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीके त्रिपाठी ने एक आदेश जारी किया कि जिस पर सवाल खड़े होने लगा है। आदेश हवाला दिया गया कि निवेशकों को जल्द फ्लैट पर कब्जा दिलाने के लिए पांच बिल्डरों को लीजरेंट तीन किश्तों में जमा करने की छूट प्रदान की जाती है। बिल्डरों को 15 मार्च तक तीनों में लीजरेंट का भुगतान कर सकते है।

प्राधिकरण पहले ही बिल्डरों को पार्ट कम्पलीशन की छूट दे रखा है। जिसमें बिल्डर को जितने पार्ट का कम्पीलशन ले रहा उसका एक मुश्त लीजरेंट जमा करना होता है, अब इसमें भी तीनों किश्तों में लीजरेंट जमा करने की छूट दे दी गई है। ऐसे फैसले लेने से पहले प्रस्ताव बोर्ड में रखा जाता है, बोर्ड से प्रस्ताव पास होने पर नियम लागू होता है। हैरत की बात यह है कि प्राधिकरण ने बिल्डरों के लिए यह नियम तुरंत लागू कर दिया। इसे बाद में बोर्ड की अनुमति लेने की बात कहीं जा रही है। बिल्डरों के अलावा अन्य किसी प्रकार के आबंटियों को लीजरेंट किश्त में जमा करने की छूट प्रदान नहीं की गई है। अन्य आबंटियों से प्राधिकरण ने भूखंड की कुल कीमत का 11 फीसदी लीजरेंट वसूल करता है। भूखंड की लीजडीड कराने पर एक साल का लीजरेंट जमा किया जा सकता है, कम्पलीशन लेने पर पूरे 90 साल का लीजरेंट एक मुश्त भुगतान करना होता है।

प्राधिकरण बिल्डरों के लिए अन्य से नियम बनाकर बसपा व सपा सरकार की तरह उन्हें फायदा पहुंचाने में जुटी है। नेफोमा के अध्यक्ष अनू खान का कहना है कि प्राधिकरण अब बिल्डरों के लिए काम कर रही है। निवेशकों को फ्लैट पर कब्जा दिलाने की चिंता नहीं है। अब इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।

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