बायोमेडिकल साइंटिस्ट को लैब इंचार्ज, कंसलटेंट का दर्जा देने की मांग

नेशनल एमएससी मेडिकल टीचर एसोसिएशन (नमटा) ने बायोमेडिकल साइंटिस्ट (एमएससी मेडिकल डिग्री धारक)को लैब इंचार्ज, कंसलटेंट का दर्जा देने की मांग की है। एसोसिएशन ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर एमसीआई में डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन करवाने की तर्ज पर बायोमेडिकल साइंटिस्ट को भी रजिस्टर्ड करवाने के लिए काउंसिल का गठन करने का सुझाव दिया है। एसोसिएशन ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री से एमएससी मेडिकल डिग्री धारकों की अनदेखी की शिकायत की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. श्रीधर राव के मुताबिक, एमसीआई ने 2005 में सर्कुलर जारी कर लैब रिपोर्ट में बायोमेडिकल साइंटिस्ट को हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया था। लेकिन वर्ष 2017 में एमसीआई ने यूटर्न लेते हुए कहा कि लैब रिपोर्ट पर बायोमेडिकल साइंटिस्ट हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं, सिर्फ डाक्टर के ही हस्ताक्षर होंगे।

डॉ. राव का कहना था कि बायोमेडिकल साइंटिस्ट एमएससी मेडिकल में बायोकैमिस्ट्री या फिर माइक्रोबॉयोलॉजी की पढ़ाई करते हैं। यही विषय एमडी करने वाले डाक्टर भी पढ़ते हैं। ऐसे में दोनों में भेदभाव क्यों? क्योंकि क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट में एमएससी मेडिकल डिग्री धारकों की अनदेखी हो रही है।

एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग रखी है कि बायोमेडिकल साइंटिस्ट को ह्यूमन रिसोर्स में जोड़ते हुए लैब रिपोर्ट में हस्ताक्षर का अधिकार मिले।

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