भोपाल । राजधानी भोपाल अब प्रदेश के फरार बदमाशों की पनाहगाह के लिए कुख्यात होती जा रही है। छुपने के लिहाज से पनाहगाह (ठिकाना) बनीं राजधानी अब दीगर जिलों व राज्यों अपराधियों के लिए वारदातों का ‘साट टारगेट’ साबित हो रही है। हालही में दतिया गोलीकांड के फरार एक आरोपी रामकिशोर यादव को पिपलानी इलाके से अरेस्ट किया गया है, जोकि वारदात के बाद अपने भाई के घर पर फरारी काट रहा था। बाहरी अपराधियों की राजधानी से गिरतारियों का यह अकेला मामला नहीं है। अतीत में झांकें तो पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल खलिस्तान फोर्स की यूथविंग हरजिंदर पाल सिंह हो या फिर गुलशन कुमार के हत्यारों में शामिल अब्दुल्ला उर्फ अनिल शर्मा भी पनाह ले चुके हैं। बीते पांच सालों में इंदौर, बैतूल, ग्वालियर समेत प्रदेश के दीगर शहरों और दूसरे राज्यों से हत्या, लूटपाट, हत्या के प्रयास, गैंगवार जैसे जघन्य वारदातों में वांछित अपराधियों की राजधानी से गिरतारियां हो चुकी है। मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, बेंगलुरु सहित देशभर में अब तक हुई आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले ढेरों खूंखार आतंकियों के ठिकाने मप्र के दीगर जिलों में होने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें सिमी प्रमुख अबू फैजल समेत दीगर आंतकियों, यूपी के हिस्ट्रीशीटर अंशु दीक्षित जैसे बदमाश इसकी जिंदा बानगियां हैं। अपने शहरों में वारदातों को अंजाम देकर पुलिस से बचने बाहरी अपराधियों का आज भी राजधानी का रुख करना बरकरार है।
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