भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं के कारण धारा-52 लगाई गई थी। इसके चलते पूर्व कुलपति प्रो. एमडी तिवारी को हटा दिया गया था, लेकिन गड़बड़ियों में शामिल शिक्षकों पर आज भी कार्रवाई नहीं हो पाई है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के साथ विश्वविद्यालय पर नजर रखने के कारण अब जस्टिस अभय गोहिल की रिपोर्ट पर कार्रवाई के आसार हैं। सूत्र बताते हैं कि राजभवन में यह फाइल कभी भी खुल सकती है। जानकारी के अनुसार, प्रो. तिवारी के कार्यकाल में बीयू में कई प्रशासनिक और वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायतें राजभवन को की गई थीं। इन गड़बड़ियों के दो मुख्य कारण थे। पहला, कुलपति द्वारा गलत रोस्टर का उपयोग कर सृजित और असृजित पदों पर नियुक्तियां करना और दूसरा वित्तीय संहिता का उल्लंघन कर अंतरराष्ट्रीय स्टेम सेल संगोष्ठी का आयोजन करना। इन गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा राजभवन ने जस्टिस गोहिल कमेटी को सौंपा था। कमेटी ने करीब डेढ़ साल पहले अपनी रिपोर्ट सौंपी दी थी, लेकिन अब तक कार्यवाही नहीं हो पाई थी। माना जा रहा है कि उस समय प्रभारी राज्यपाल के होने से रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया गया। आनंदीबेन पटेल के राज्यपाल बनने के बाद अब रिपोर्ट पर कार्रवाई की उम्मीद है। इस संबंध में राजभवन के प्रमुख सचिव एम मोहनराव से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
12 को दिखाया जा चुका है बाहर का रास्ता
पूर्व कुलपति तिवारी द्वारा 34 शिक्षकों की नियुक्तियां नियमों को ताक पर रखकर की गई थीं। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर सहित 29 शिक्षकों ने ज्वाइन किया था। इनमें से 12 असिस्टेंट प्रोफेसरों और असिस्टेंट डायरेक्टर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, लेकिन 17 पर अभी कार्रवाई होना बाकी है।
ऐसे हुआ वित्तीय संहिता का उल्लंघन
अंतरराष्ट्रीय स्टेम सेल संगोष्ठी का प्रकरण ईओडब्ल्यू की जांच में है। इस मामले में वित्तीय संहिता का उल्लंघन कर संयोजक रहे वर्तमान प्रभारी कुलपति प्रो. डीसी गुप्ता ने न केवल अलग बैंक खाता खोला, बल्कि बिना आॅडिट कराए करीब 26 लाख रुपए का यात्रा व्यय का भुगतान भी कर दिया था। इस संगोष्ठी का 14 लाख रुपए का भुगतान होना अभी भी बाकी है। वेंडर भुगतान की आस में बीयू के चक्कर काट रहे हैं।
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