मध्यप्रदेश : बाग हैं नहीं, लेकिन मंत्री पुत्र फूलों की खेती सीखने नीदरलैंड की सैर कर आए!

भोपाल: देश में बीजेपी ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर वो कितनी गंभीर है इसकी बानगी मध्यप्रदेश में देखी जा सकती है, जहां दो कैबिनेट मंत्रियों ओमप्रकाश धुर्वे और सूर्यप्रकाश मीणा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं बावजूद इसके उनके इस्तीफे को लेकर पार्टी में कोई चर्चा तक नहीं है.

मध्यप्रदेश में फूलों की खेती लहलहाए इस सोच के साथ 20 किसान 2-7 नवंबर 2016 तक नीदरलैंड घूमकर आए. कार्यक्रम का आयोजन किया मध्यप्रदेश उद्यानिकी प्रसंस्करण विभाग ने इस टीम में विभाग के मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे देवेश मीणा और भतीजा कृष्णा मीणा भी शामिल थे. वैसे मंत्रीजी को नहीं लगता कि बेटे ने कुछ गलत किया है. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा टूर का 1,60,000 रुपये का पैकेज होता है 45,000 रुपये किसान देता है. उसके तहत नीदरलैंड का टूर हुआ. सिर्फ मेरा बेटा-भतीजा नहीं 20 किसान गए थे. बेटे की विदेश यात्रा नियमों के तहत हुई. मेरे विभाग में बड़े अनुदान हैं देना होता तो छोटे लाभ की बात क्यों आती बड़ा लाभ लेते.

मंत्रीजी कह रहे हैं कि सब नियमों के तहत हुआ. उनके मंत्री बनने से पहले बेटे ने आवेदन दिया. लेकिन असल में एनडीटीवी के पास जो दस्तावेज़ मौजूद हैं उनके मुताबिक मंत्रीजी के बेटे के पास साढ़े चार हैक्टेयर जमीन है लेकिन बोते कुछ नहीं हैं. यानी न वो फूलों की खेती करते हैं, और न ही उनके इलाके में फूलों की खेती होती है. 13 अप्रैल 2016 को किसानों की सूची मांगी गई थी, 30 जून 2016 को मीणा मंत्री बने 23 अगस्त को लिस्ट फाइनल हुई यानी तब जब मीणा मंत्री बन चुके थे.

वैसे मंत्रीजी के बेटे ने विदेश में फूल उगाने को लेकर क्या सीखा इसकी तस्वीरें उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं जहां वे घूमते-फिरते दिख रहे हैं. शायद पढ़ाई वाली तस्वीरें डालना भूल गए होंगे.

बहरहाल मंत्रीजी के बेटे यही नहीं रुके अपने इलाके में बगैर संवैधानिक पद जनसुनवाई भी करते दिख जाते हैं. जहां अधिकारी-कर्मचारियों को फरमान सुनाते हैं. लेकिन मंत्रीजी को यहां भी बेटे की गलती नहीं दिखती, मीणा ने  कहा मेरी ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा है. लोग छोटी-छोटी समस्या लेकर आते हैं कि पेंशन नहीं मिली, बीपीएल कार्ड नहीं है. मेरा प्रयास होता है मैं खुद मौजूद रहूं लेकिन शनिवार खाली नहीं था प्रदेश कार्यसमिति की बैठक थी. बेटा गया वहां सिर्फ आवेदन लिया मामले को अनावश्यक तूल दिया गया है.

वैसे शिवराज के राज में मीणा अकेले मंत्री नहीं है, आरोपों की जद में उनके चहेते ओमप्रकाश धुर्वे भी हैं. 2013 में डिंडौरी के कलेक्टर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दे चुके हैं, लेकिन चार साल में वहां चार कलेक्टर आ गए धुर्वे के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हुआ.

धुर्वे मध्य प्रदेश सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण और श्रम मंत्री हैं. मंत्रीजी पर आरोप लगा था कि मुनाफे के लिए उन्होंने स्कूल बस, फायरब्रिगेड की गाड़ी को एंबुलेंस बनाकर दौड़ा दिया. मामले की शुरुआत 2006 में हुई थी, तब मप्र में  गरीबों, अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए बेहतर इलाज के लिए दीनदयाल चलित अस्पताल योजना सरकार ने बनाई थी, लेकिन आरोप है कि इसका इस्तेमाल कर मंत्रीजी ने 2008-12 के बीच शहडोल, डिंडोरी, अनूपपुर, मंडला के 26 ब्लाकों में एंबुलेंस चलाने के लिए चार करोड़ का ठेका ले लिया.

सरकार ने 123 स्पेशल एंबुलेंस चलाई, हर एंबुलेंस में डॉक्टर, सहयोगी, पैथोलॉजिस्ट होता था लेकिन अव्यवस्था के आरोपों में कुछ साल बाद योजना बंद हो गई. इस दौरान गजानन शिक्षा एवं जनसेवा समिति, जिसके कर्ता-धर्ता धुर्वे और उनकी पत्नी ज्योति पर आरोप लगा कि डिंडोरी में 2 करोड़ 59 लाख, 25000, तो दूसरे जिलों में भी भ्रष्टाचार की एंबुलेंस चलाकर उन्होंने करोड़ों का बिल पास करवा लिया.

2013 में डिंडौरी कलेक्टर ने कहा कार्रवाई हो मामला हाईकोर्ट में भी गया जहां डबल बेंच ने उसे खारिज कर दिया. हमने मंत्रीजी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन ना वो बंगले पर मिले, ना ही उनसे फोन पर बात हो पाई.

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