मध्यप्रदेश में सिंचाई रकबा बढक़र 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा

भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें जल संसाधन विभाग का भी विशेष योगदान है। बीते तेरह वर्ष में मध्यप्रदेश में सिंचाई सात लाख हेक्टेयर से बढक़र अब 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जहां विभिन्न स्रोतों से किसान सिंचाई कर अधिक उपज उत्पादन का लाभ उठा रहे हैं। अकेले जल संसाधन विभाग ने 27 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुनिश्चित की है। आने वाले समय में प्रदेश में सिंचाई रकबा साठ लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है। समन्वित प्रयासों से प्रदेश में इस क्षेत्र में उपलब्धि का स्तर बढ़ता जा रहा है।

सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के लिए मध्यप्रदेश में बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं। जल संसाधन विभाग ने दृष्टिपत्र 2018 में प्रतिवर्ष 2 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार का संकल्प लेकर कार्य शुरू किया। अगले वर्ष तक मध्यप्रदेश में लगभग 700 लघु परियोजनाओं को पूरा करने का इरादा लेकर कार्य किए जा रहे हैं। वर्ष 2016 में उज्जैन में महत्वपूर्ण सिंहस्थ पर्व के लिए क्षिप्रा में जल प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण कार्य हुआ। नर्मदा जल पहुँचाने के लिए बहुत कम समय में प्रयास प्रारंभ हुए और इसका लाभ महापर्व के लिए पहुँचे करोड़ों श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ।

प्रदेश में अगले वर्ष तक 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फील्ड चैनल और वॉटर कोर्स के निर्माण का लक्ष्य है। इसके साथ ही सतही और भूमिगत जल के संयुक्त प्रयोग को सभी बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जा रहा है। आगामी वर्ष तक जल संसाधन विभाग ने तीन वृहद जलाशय पेंच, पंचमनगर और हरसी उच्च स्तरीय नहर प्रणाली के साथ ही तीन मध्यम परियोजनाओं और अनेक लघु सिंचाई परियोजनाओं से डेढ़ लाख से अधिक क्षेत्र में सिंचाई बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के किसानों को पर्याप्त और अच्छी सिंचाई सुविधा दिलवाने पर निरंतर ध्यान देते हुए पर्याप्त विद्युत आपूर्ति, खाद्य एवं उर्वरक प्रदाय और उपज का सम्मानजनक मूल्य दिलवाने पर ध्यान दिया है। प्रदेश में तीन माह पूर्व पहली बार एक अनूठी पहल हुई जिसमें किसानों और जल-संसाधन विभाग के अमले के बीच संवाद बैठकें की गईं। पानी की एक-एक बूँद का सदुपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नहरों और अन्य जल-संरचनाओं के मरम्मत के कार्यों को भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

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