भोपाल । राजधानी के वैन चालक महीने में सिर्फ 70 रुपए बचाने के लिए कॉमर्शियल परमिट नहीं ले रहे हैं। स्कूली कार्य के लिए आरटीओ में प्रति सीट 10 रुपए हर माह टैक्स तय है। एक वैन में अधिकतम 7 बच्चों को बैठाया जा सकता है। इस हिसाब से हर माह 70 रुपए का टैक्स होता है। इसके बावजूद वैन का निजी कार्य के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जाता है।
परिवहन विभाग भी दोषी
वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन अनिवार्य करने के आदेश हुए थे। इसके बाद भी वैन मालिक टैक्स बचाने निजी कार्य के लिए परमिट लेते रहे। जबकि वैन का उपयोग कॉमर्शियल रूप में किया जा रहा है। नियम विरुद्घ वैन का संचालन होने के बाद भी परिवहन विभाग ने सख्ती नहीं बरती। यही वजह है कि ढाई साल बाद भी स्थिति जस की तस है।
वर्तमान में एक वैन में 12 से 15 बच्चे बैठाए जा रहे हैं।
चार दिन में सिर्फ 25 स्कूलों ने जागरूक पोर्टल पर अपलोड की बसों की सूची
स्कूलों पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और जिला प्रशासन की चेतावनी का भी असर नहीं पड़ा है। बीते चार दिन में सिर्फ 25 स्कूलों ने ही जागरूक भोपाल पोर्टल पर बसों की जानकारी अपलोड की है। इसके साथ ही यह संख्या बढ़कर 88 हो गई है।
वर्तमान में 611 स्कूलों में से 523 स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने पोर्टल को खोलकर नहीं देखा है। एडीएम दिशा नागवंशी ने साफ कर दिया है कि मंगलवार से पोर्टल पर बसों की जानकारी अपलोड न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई तय है। गत दिनों स्कूल बसों को सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कराने के लिए बैठक हुई थी। इसमें एडीएम ने स्कूल संचालकों को सोमवार तक का समय पोर्टल पर बसों की जानकारी दर्ज करने के लिए दिया था।
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