मानवाधिकार आयोग ने कहा जीप पर बंधे अहमद को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से सोमवार को राज्य सरकार को आदेश दिया गया कि पथराव के दौरान आर्मी द्वारा ह्यूमन शील्ड बनाए गए शख्स को बतौर मुआवजा 10 लाख रुपये की राशि दिया जाए। आयोग की ओर से इसके लिए सरकार को 6 माह का समय भी दिया गया है।

मानवाधिकार का फैसला

राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस बिलाल नाजकी ने राज्य सरकार को पथराव जैसी हिंसक घटना के बीच आर्मी द्वारा जीप पर बांध ‘ह्यूमन शील्ड’ के तौर पर उपयोग किए गए शख्स को बतौर मुआवजा दस लाख रुपये देने का आदेश दिया।

अपने फैसले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पीड़ित फाहरूख अहमद डार को राज्य सरकार की ओर से मुआवजा मिलना चाहिए। आयोग ने इस मामले में सेना को किसी तरह का आदेश नहीं दिया और कहा कि यह सेना के अधिकारक्षेत्र में नहीं है।

पीड़ित ने की थी शिकायत

ह्यूमन शील्‍ड बने डार ने मानवाधिकार आयोग में मामले की शिकायत की जिसके बाद जम्मू-कश्मीर मानवाधिकार आयोग का फैसला फारूख अहमद डार के पक्ष में आया है।

आयोग ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो डार को 6 हफ्तों के भीतर दस लाख रूपये का मुआवजा दे।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के बड़गाम में पथराव के दौरान मेजर लीतुल गोगोई ने फारुख को अपनी जीप के आगे बांधकर पथराव से सेना के काफिले की रक्षा की थी।

जिसके बाद मेजर गोगोई पर सवाल उठे थे और कुछ लोगों की ओर से मेजर को सजा देने की मांग की गयी जबकि सेना ने उन्हें सम्मानित किया।

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