मुसलमान राष्ट्रीयता से हिंदू हैं : मोहन भागवत

भोपाल, बैतूल। धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बैतूल में बुधवार को आयोजित आरएसएस के हिंदू सम्मेलन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं को जात-पात छोड़कर एक होने की अपील की। उन्होंने इशारों में धर्म परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के कारण कुछ दुष्ट हमारे ही लोगों को भारत के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। ऐसे लोगों के चंगुल में बिल्कुल न आएं। यदि हम संगठित नहीं हुए तो दुनिया ऐसे दुष्टों से भरी है कि वे दुर्बलों को निशाना बना रहे हैं।
भागवत ने कहा कि हर व्यक्ति अपनी दृष्टि के मुताबिक अपना भगवान चुनता है, लेकिन सभी लोगों को भारत माता की आरती करनी चाहिए।
उन्होंने बैतूल में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मंच पर हुई भारत माता की आरती की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुस्लिम इबादत से मुस्लिम हैं, लेकिन राष्ट्रीयता के नाते वे हिंदू ही हैं। इसलिए मुस्लिम मंच पर भारत माता की आरती पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भारत माता को ही हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदुस्तान में रहने वाले हिंदू हैं। जैसे अमेरिका में रहने वाले अमेरिकन।
बैतूल के पुलिस परेड ग्राउंड पर आयोजित इस सम्मेलन में करीब एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे। सम्मेलन में भागवत ने कहा कि समाज का मतलब बिना भेदभाव वाला समाज है। हमारे समाज में जात-पात को लेकर झगड़ा, भेदभाव है, इसलिए हम लंगड़े-लूले समाज हो गए हैं। हमें सारे भेदभाव मिटाकर एक होना चाहिए, क्योंकि हिंदुओं का भारत के अलावा कोई नहीं है। प्राचीन समय में भी कोई जात-पात का भेदभाव नहीं करता, इसलिए सबको अपना भाई मानो।
हिंदू सम्मेलन के लिए मंच पूरी तरह गोबर और टाट से बनाया गया। इसे विद्या भारती के छात्रों द्वारा तैयार किया गया। इसके साथ ही भागवत ने गोंडी भाषा में साप्ताहिक अखबार लोकांचल और मैगजीन सतपुड़ा समग्र का भी विमोचन किया। मंच पर भागवत के साथ आरएसएस के सह सरहकार्यवाह सुरेश सोनी भी मौजूद थे।
अंग्रेजों ने टूटा आइना पकड़ा दिया
भागवत ने कहा कि अंग्रेजों ने हमें टूटा आइना पकड़ा दिया है। उसे देखकर हम आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। उस टूटे आइने को फेंक दो और हमारा नया आइना है कि हम एक हैं।
भारत विश्व गुरु नहीं बना तो हिंदुओं से जवाब मांगा जाएगा
भागवत ने कहा कि दुनिया को पर्यावरण, पंथ एकता सहित कई समस्याओं का समाधान सिर्फ भारत दे सकता है। दुनिया भी मानती है कि भारत विश्व गुरु बनेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसका जवाब हिंदुओं से मांगा जाएगा कि ऐसा क्यों नहीं हुआ?
‘भारत माता की जय” है दिल की भाषा
भागवत ने कहा कि ‘भारत माता की जय” दिल की भाषा है। इसलिए पूरे देश में कोई भी भाषा बोलने वाला हो, वह भारत माता की जय इन्हीं शब्दों में बोलता है।
बिहार गया तो प्रचारक बोले, पजामा खींच लूं क्या?
विविधता का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि मैं संघ के काम से बिहार के मुजफ्फरनगर पहुंचा। वहां कार्यालय में विभाग प्रचारक ने मुझसे पूछा कि आपका पजामा खींच लूं क्या? मैं डर गया कि संघ का प्रचारक क्या कर रहा है? प्रचारक ने वापस कहा कि आपका पजामा गंदा हो गया है, खींच दूं क्या? तब मुझे पता चला कि बिहार में कपड़े खींचने का मतलब कपड़े धोना है।
पूजा करने की दृष्टि मत बदलो
हिंदू सम्मेलन से भागवत ने इशारों-इशारों में कई संदेश दिए। धर्म को लेकर उन्होंने कहा कि मनुष्य के पास अपना भगवान चुनने और उस दृष्टि से पूजा करने की स्वतंत्रता है। दूसरे की दृष्टि मत बदलो। लोग सभी विविधता को स्वीकार करें। सिर्फ सहन न करें। उन्होंने कहा कि जो संस्कृति की विविधता में विश्वास करता है, वह हिंदू है। जबकि दुनिया कहती है कि एक होना है तो एक जैसे हो जाओ। हमारे देश में ऐसा नहीं है, सिर्फ दिल की भाषा एक होना चाहिए।
1 घंटे की बजाय 27 मिनट का भाषण
हिंदू सम्मेलन में मोहन भागवत एक घंटे का भाषण देने वाले थे, लेकिन उन्होंने 27 मिनट में ही अपना भाषण खत्म कर दिया। मोहन भागवत के भाषण के आखिरी मिनटों में सम्मेलन में आए कुछ लोग उठकर बाहर जाने लगे थे। माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्होंने अपना भाषण जल्दी खत्म कर दिया।
दलित और मुस्लिम सहित 37 सामाजिक संगठनों ने बनाया भोजन
हिंदू सम्मेलन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या संदेश देना चाहता था, इसकी झलक भोजन व्यवस्थ्ाा में भी दिखी। सम्मेलन में आए लोगों को रविदास, मुस्लिम, आदिवासी और मांझी समेत 37 सामाजिक संगठनों ने 1 लाख 72 हजार भोजन के पैकेट बांटे।
दशरथ ने अधर्म का नाश नहीं किया, इसलिए राम राज्य की कल्पना हुई
सम्मेलन में आए श्याम स्वरूप महाराज ने कहा कि महाराज दशरथ रावण की तरह चक्रवर्ती सम्राट थे, लेकिन उन्होंने अधर्म का नाश नहीं किया। इसलिए समाज में राम राज्य की कल्पना की गई।
पिछड़े समुदाय के साधु-संतों का भाषण में उल्लेख
हिंदू सम्मेलन में मंच से मोहन भागवत समेत सभी वक्ताओं ने दलित और पिछडे समुदाय पर अपने भाषण को केंद्रित रखा। श्याम स्वरूप महाराज ने भी भाषण में संत रैदास का उल्लेख किया, वहीं सतपाल महाराज ने भी शबरी के बहाने महिला सशक्तिकरण की बात की।
घर की बडी लडक़ी दे मुखाग्नि
सतपाल महाराज ने सम्मेलन में कहा कि समाज को महिला सशक्तिकरण की तरफ ध्यान देना चाहिए। निर्भया योजना, महिलाओं को लोन देने वाली योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए। इसके साथ ही लडिकयों को मुखाग्नि देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने मंच से मोदी सरकार के कामकाज की भी तारीफ की।
भागवत ने बताए, हिंदू सम्मेलन के तीन कारण
– हिंदू समाज को संगठित करने के लिए
– आपसी झगड़े को खत्म करने के लिए
– दुर्बल व्यक्ति की मदद करने के लिए
तीन संकल्प भी दिलवाए
– जात-पात का भेदभाव खत्म करना है।
– घर में भारत माता की पूजा करें, लेकिन फूल-कुमकुम से नहीं। अच्छे आचरण की शिक्षा देकर।
– सारे काम प्रमाणिकता से करेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे

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