मोदी के इस अफसर ने कंगाल एयर इंडिया को 2636 करोड़ घाटे से पहुंचाया105 करोड़ मुनाफे में

भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा के एक अफसर ने कैसे ईमानदारी के दम पर ह सरकारी एयरलाइन को एक साल में घाटे से उबारा, पढ़िए सक्सेस स्टोरी।

नई दिल्लीः ईमानदारी ऐसी कि अशोका होटल में ITDC का अपना ऑफिस होने पर भी कभी बीवी-बच्चों संग सरकारी पैसे से इस दिल्ली के फाइव स्टार होटल मे एक कप चाय भी नहीं पी। खुद को पहले नजीर बनाकर स्टाफ को भी शाहखर्ची से रोकने में सफल हुए अश्वनी लोहानी ने जब घाटे में चल रही इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन(ITDC) को मुनाफे में पहुंचा दिया तो सब हैरान हो गए। इस बीच एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने लोहानी को अपने यहां बुलाकर खस्ताहाल मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम को उबारने का जिम्मा सौंपा। यहां भी लोहानी ने ईमानदारी के दम पर कमाल कर दिखाया। घाटे में दम तोड़ते दो बड़े संस्थानों को इस रेलवे अफसर ने जब जिंदा कर दिखाया तो खबर मोदी तक पहुंची और उन्होंने अश्वनी को बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बनाया। मोदी को लगा कि यूपीए राज में कंगाल हुए एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए  ईमानदार अफसर की तलाश पूरी हुई। बस फिर क्या था कि उन्होंने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए इंडियन रेलवे इंजीनियरिंग सर्विस के इस अफसर को एयर इंडिया का सीएमडी बना दिया और कहा कि-एयर इंडिया को घाटे से उबार दो तो मैं जानूं। महज एक साल के भीतर अश्वनी ने दो हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे में चल रही इस सरकारी नागर विमान सेवा कंपनी को 105 करोड़ के मुनाफे में पहुंचाकर एक बार फिर सबको हैरान करते हुए मोदी का भरोसा जीत लिया। अगर कोई  रेलवे का अफसर हवाई  जहाज वाली कंपनी की कायापलट कर दे तो हर किसी का चौंकना लाजिमी है। मिलिए इस ईमानदार अफसर से। 

परंपरा तोड़कर मोदी ने अश्वनी को सौंपी जिम्मेदारी

आमतौर पर एयर इंडिया का मुखिया यानी सीएमडी किसी सीनियर आईएएस को ही बनाया जाता है। भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सेवा(IRES) के अफसर अश्वनी को हवाई सेवाओं का कोई अनुभव भी नहीं था। मगर जब मोदी तक खबर पहुंची कि देश में एक ऐसा इंजीनियर हैं, जिसने अपनी  ईमानदारी व जुदा शैली से काम करते हुए घाटे में चल रहे मध्य प्रदेश  टूरिज्म को भारी मुनाफे में पहुंचा दिया। इसके बाद यह अफसर आईटीडीसी यानी इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन का मुखिया रहा। अशोका जैसे फाइव स्टार होटल में ऑफिस होने के बाद भी कभी मुफ्त में न खुद या फिर यार-दोस्तों को कोई दावत कराने की बात छोड़िए, एक चाय भी नहीं पी। इस पर मोदी ने आईआरईएस अफसर होने के बाद भी अश्वनी के कंधे पर संकट में फंसे एयर इंडिया की जिम्मेदारी डाल दी। 

कैसे अश्वनी ने एयर इंडिया को उबारा संकट से

अश्वनी ने जैसे ही अगस्त 2015 में एयर इंडिया के कुर्सी पर बैठे। सामने टेबल पर रिचर्ड बैंसन की लाइन फ्रेम कराकर रखी-यह लाइन है-क्लाइंड डोंट कम फर्स्ट, इम्प्लाइज कम फर्स्ट। 

“Clients do not come first. Employees come first. If you take care of your employees, they will take care of the clients.”

 यानी अश्वनी की नजर में किसी संस्थान की तरक्की में जब तक सभी स्टाफ का सौ प्रतिशत योगदान नहीं होगा तब तक वह संस्थान तरक्की नहीं कर सकता। यही वजह है कि ग्राहकों को भगवान मानने वाली धारणा से अलग हटकर अश्वनी ने स्टाफ से रोजाना संवाद कायम करना शुरू कर दिया। पायलट और एयर होस्टेस की वेतन और अन्य सुविधाओं से जुड़ी दिक्कतें दूर की। फालतू के सभी खर्चे बंद कर दिए। मीटिंग और टूर के नाम पर अफसरों की शाहखर्ची पर लगाम लगाई। यहां तक कह दिया कि कोई स्टाफ उन्हें कभी बुके आदि नहीं भेंट करेगा। ऐसे तमाम फैसलों से अश्ननी ने सभी स्टाफ का सहयोग लेते हुए एयर इंडिया की हालत सुधार दी। सादगी का आलम यह है कि अश्वनी आज भी सरदार पटेल मार्ग स्थित रेलवे कालोनी के मकान में रहते हैं। 

2007 में इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद मुश्किलें

यूपीए सरकार में जब प्रफुल्ल पटेल उड्डयन मंत्री रहे तो इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के बुरे दिन शुरू हो गए थे। जिस एयर इंडिया की कभी उड़ान सेवाओं में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, वह न्यूनतम पर पहुंच गई।  यहां तक कि इस सरकारी विमानन कंपनी पर 70 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज भी लद गया। फिर आंतरिक अनुशासन भी डगमगा गया। पायलट और एयरहोस्टेस वेतन विसंगतियों को लेकर अक्सर हड़ताल पर जाते रहे। जिससे एयर इंडिया के सामने मुसीबत खड़ी होती रही।  

 

 

निदेशक मंडल ने की मुनाफे की घोषणा

एयर इंडिया के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2015-16 की वित्तीय हालत की रिपोर्ट पेश की। जिससे पता चला कि इस सरकारी एयरलाइन को 105 करोड़ रुपये का  आपरेटिंग प्राफिट यानी परिचालन लाभ हुआ। जो कि कंपनी के भविष्य के लिए शुभ संकेत है। निदेशक मंडल के मुताबिक 2007 के बाद पहली बार एयरलाइन के परिचालन लाभ में इजाफा हुआ है। एयरलाइन को 2014-15 में परिचालन  कार्य में 2636 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उस दौरान कंपनी की  आय घटकर 20526 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले 20613 करोड़ थी। 

सिर्फ ईंधन के दाम कम होने से ही नहीं सुधरी सेहत

एयर इंडिया की माली हालत सुधरने में यूं तो इस बीच ईंधन के दाम भी कम होना भी वजह है। पिछले साल 31 प्रतिशत ईंधन खर्च कम हुआ। मगर सिर्फ इसी के कारण सेहत में सुधार नहीं हुआ। हवाई सर्विस से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि अश्वनी लोहाणी ने सीएमडी बनते ही वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन कायम करने की दिशा में एयर इंडिया में अपने फैसलों से जो मेजर सर्जरी की, उससे एयर इंडिया का सारा रोग दूर हो गया। लाभ वाले विदेशी उड़ानों के नए रुट तय किया। उस पर फ्लाईट सर्विस शुरू की। जिससे यात्री संख्या में इजाफा हुआ। आंकड़े के मुताबिक 2015-16 में एयर इंडिया के यात्रियों की संख्या 1.8 करोड़ रही। जबकि वर्ष 2014-15 में एयर इंडिया से कुल 1.688 करोड़ यात्रियों  ने उड़ान ली। मतलब पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ। एयर इंडिया की प्रतिद्वंदी कंपनी स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अश्वनी ने अपनी कठिन मेहतन से एयर इंडिया की हालत सुधारने में सफलता हासिल की। बता दें कि सरकार ने माली हालत सुधारने के लिए इस सरकारी एयरलाइन को 30000 करोड़ का पैकेज भी दे रखा है।

लिम्का बुक में दर्ज है नाम

इंडियन  रेलवे सर्विस ऑफ इंजीनियर्स के 1980 बैच के अफसर अश्वनी इंडियन स्टीम रेलवे सोसाइटी के संस्थापक सदस्यों में है। खास बात हैकि वे मिस्टर टर्नअराउंड के नाम से जाने जाते हैं। मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल सहित चार ट्रेंड की इंजीनियरिंग डिग्रियां लेने के कारण उनका नाम लिम्का बुक रिकॉर्ड्स में दर्ज है। इससे भी बड़ी बात है कि जब यूपीए सरकार में कामनवेल्थ घोटाले में लगभग सभी केंद्रीय विभागों पर कैग ने सवाल उठाए थे तब रेलवे में डिविजनल मैनेजर रहे लोहानी के काम की कैग ने तारीफ की थी। इस पद पर रहते हुए लोहानी ने नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली  और हजरत निजामुद्दीमन स्टेशन पर व्यापक सुधार कार्य किए। 

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