मौत की सजा से रोक हटने के बाद पाकिस्तान में 465 लोगों को फांसी दी गई

लाहौर। पाकिस्तान में दिसंबर, 2014 में मौत की सजा से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से कम से कम 465 लोगों को फांसी दी गई है। कैदियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ ने यह जानकारी दी। डॉन ने जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान (जेपीपी) के आंकड़ा विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में फांसी दिए जाने के बाद चीन, ईरान, सऊदी अरब और इराक के बाद पाकिस्तान पांचवां सबसे ज्यादा फांसी देने वाला देश बन गया है।

विश्लेषण में कहा गया है कि मौत की सजा से आतंकवाद सहित अपराध में कमी लाने में फिल रही है। मौत की सजा का इस्तेमाल राजनीतिक औजार की तरह किया जा रहा है। कभी-कभी यह जेल में बढ़ती भीड़ को कम करने का तरीका है।

पाकिस्तान में 89 फीसदी फांसी की सजा दी गई, जिनमें सिर्फ पंजाब प्रांत में करीब 83 फीसदी फांसी की सजा दी गई। यहां पर वर्ष 2015 व 2016 के बीच हत्या में 9.7 फीसदी की गिरावट आई है।

इसी अवधि में सिंध प्रांत में हत्या के मामले में करीब 25 फीसदी की कमी आई है। इस प्रांत के सिफई में 18 लोगों को फांसी दी गई, जबकि पंजाब प्रांत में 382 लोगों को फांसी दी गई।

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