यूनिफार्म सिविल कोड के खिलाफ देश के कई जगहों में प्रदर्शन

बरेली/रांची : समान नागरिक संहिता और तीन तलाक में बदलाव की तैयारी के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने कमर कस ली है और सूफी संगठनो ने बरेली में प्रदर्शन किया। उलेमा ने इसे केंद्र सरकार का शरीयत में हस्तक्षेप मानते हुए मानने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही ऑल इंडिया जमात रजा मुस्तफा, तंजीम उलमा-ए-इस्लाम दिल्ली व रजा एकेडमी मुंबई की ओर से देशभर में आंदोलन का एलान किया गया। धर्मगुरुओं ने बताया कि इसके बाद बहराइच लखनऊ सहित देश के तमाम शहरों में प्रदर्शन किया जाएगा। अगले माह 18 नवंबर को दिल्ली में मार्च का भी ऐलान किया गया।

सूरत में भी औरतों ने तलाक और समान नागरिक संहिता के खिलाफ परदर्शन किया है, इधर झारखंड में भी जुमे की नमाज़ के बाद रांची शहर में ओबेदुल्ला कासमी ने भी झारखंड के गाँव देहात और शहरों में दस्तखत मुहिम चलाने की गुजारिश की है और मुजाहिरा करने की बात कही, फिलहाल परदर्शन के लिए अभी तक तारीख मुकर्रर नहीं हो सकी है।

 

तीन तलाक के विरोध में मोदी सरकार को मिला मुस्लिम महिलाओं का समर्थन अब धीरे-धीरे खिसकने लगा है. यह यू टर्न लॉ कमीशन की 16 सवालों की प्रश्नावली जारी करने के बाद हुआ. इस प्रश्नावली में समान नागरिक संहिता सहित तीन तलाक, बहुविवाह इत्यादि मुद्दे शामिल हैं.

कमीशन ने इस पर लोगों से सुझाव मांगे थे. मुस्लिम धर्मगुरु इस मुद्दे को पर्सनल लॉ को खत्म करने की साजिश के रूप में देख रहे हैं. वे इसे मुसलमानों की पहचान पर संकट बता रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी के अनुसार मोदी सरकार हर मुद्दे पर फेल हुई और ये जनता का ध्यान भटकाने की एक साजिश है. वह कहते हैं, “असल में मोदी सरकार से सरहद संभल नहीं रही है और देश के अंदर एक नई जंग छेड़ दी है.” बोर्ड का कहना है कि संविधान की धारा 25 के अनुसार देश के हर नागरिक को धर्म के अनुसार आस्था रखने, धार्मिक क्रिया-कलाप व अनुष्ठान पर अमल करने और धर्म के प्रचार का अधिकार शमिल है.
बोर्ड ने लॉ कमीशन की प्रश्नावली को खारिज कर दिया है और समुदाय से अपील की है कि इसका उत्तर न दें. उसका कहना है कि इस प्रश्नावली द्वारा केवल एक समुदाय विशेष के पर्सनल लॉ को निशना बनाया गया है.

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