रामवृक्ष यादव रोज लगाता था जवाहरबाग में दरबार, खुद कहलाता था सम्राट

जवाहरबाग में समानांतर सरकार चलाने वाला रामवृक्ष यादव वर्तमान सरकार को ब्रिटिश सरकार बता कर इसे स्वतंत्र कराने की बात कहता था। इसके साथ ही वह खुद को स्वयंभू सम्राट भी कहलाता था। रोजाना बाकायदा दरबार लगाता था और उसने अपनी सरकार में समानांतर अधिकारी भी तैनात कर दिए थे। वह लगातार अनर्गल मांगें करता था। आखिरकार उसे हासिल कुछ नहीं हुआ, लेकिन दो अफसर शहीद हो गए, कई और लाशें बिछ गईं।

जवाहरबाग के बायीं ओर एक विशाल पंडाल में दरबार लगाने वाला रामवृक्ष यादव तकनीक से भी पूरी तरह लैस रहता था। उसके पास इंटरनेट युक्त एक लैपटॉपधारी युवक हर समय साथ रहता था, जिस पर वह हाईकोर्ट आदि के ऑर्डर और केस की सुनवाई की स्थिति देखता रहता था।

इसके साथ ही किसी भी वार्ता के समय वहां कई लोग आगंतुक को घेरकर बैठ जाते थे, जिससे उस पर मानसिक दबाव पड़े। अधिकारियों को दबाव में लेने की यह नीति काफी सफल भी रही थी। वह रोजाना दरबार लगाता, जिसमें उसका साफ कहना था कि वह स्वयंभू सम्राट है और वह सबकी नागरिकता तय करेगा। जो उसकी बात नहीं मानेगा, उसे कानून सजा देगा। अपना प्रभाव बढ़ाने को एक ओर जनता को सस्ते सामानों की बिक्री करते थे, तो आसपास के गांवों को समुदाय विशेष के लोगों को अपने संगठन से जोड़ भी लेते थे।

कई बार उसे समझाया गया कि यदि वह सिस्टम की अव्हेलना करेगा तो एक दिन सिस्टम उसकी अव्हेलना कर देगा। लेकिन अहंकारवश उसने किसी की बात नहीं मानी। यहां तक कि जब भी प्रशासन मुनादी कराता था तो रामवृक्ष यादव अपने लाउडस्पीकरों से प्रशासन के विरुद्ध बयानबाजी करता था। जब पुलिस फोर्स जवाहरबाग के चारों ओर खड़ी रहती थी तो रामवृक्ष यादव अपने लोगों में जोश फूंकने को पुलिस के सिपाहियों को हड़काता था। दरअसल उसे अच्छी तरह मालूम था कि लोकतंत्र के राज में जब तक उसके साथ भीड़ है, तब तक वह सुरक्षित है। लेकिन अहंकार अंतत: उसका दुश्मन बन गया और उसका साम्राज्य विध्वंस हो गया। अफसोस यह कि इसकी कीमत कई निर्दोषों को चुकानी पड़ी।

कब्जाधारियों को शूटरों ने किया प्रशिक्षित जबाहर बाग को दो साल से घेरकर बैठे कब्जाधारी हथियारों को चलाने में माहिर किए गए थे। पुलिस की कार्रवाई से पहले ही उनसे निपटने को तैयार थे। पूर्वांचल के पांच शूटरों ने कब्जाधारियों में शामिल युवकों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था।

जबाहर बाग के कब्जाधारियों में शामिल युवक तेज और तर्रार थे। इनके पास हथियार भी थे, लेकिन सटीक निशाना लगाना और लगातार फायरिंग करने की इन्हें ट्रेनिंग दी गई। दो माह पहले खुफिया विभाग ने जिला प्रशासन और पुलिस को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें पूर्वांचल से पांच शूटरों के जबाहर बाग में आने की सूचना दी गई थी। ऑपरेशन जबाहर बाग के समय ये शूटर नहीं थे। माना जा रहा है कि शूटरों ने ही इन युवकों को हथियार चलाने में प्रशिक्षित किया। ऑपरेशन जबाहर बाग के बाद बाग के बाहर एक पुलिसकर्मी ने भी अंदर के हालात बयां किए। पुलिसकर्मी के अनुसार कब्जाधारियों के पास ऑटोमेटिक हथियार थे। हथियार चलाने से लग रहा था कि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। पुलिसकर्मी के मुताबिक उसकी गन की रेंज 30 मीटर थी जबकि कब्जाधारियों की ओर से की जा रही फायरिंग की रेंज इससे ज्यादा थी। यहां सवाल यह उठता है कि कब्जाधारियों को आधुनिक हथियार किसने मुहैया कराए। एलआईयू ने समय-समय पर शूटरों के आने की सूचना दी थी। पाक्षिक रिपोर्ट भी पुलिस और प्रशासन को दी जाती रही थीं। पुलिस और प्रशासन के पास रिपोर्ट्स का ढेर लगा है।

200 गज के प्लॉट के काट दिए थे पट्टे जवाहरबाग में तथाकथित विधिक आंदोलन के नाम पर आए कई लोगों को रामवृक्ष यादव ने 200 वर्गगज के प्लॉट काटकर दे दिए थे। उसका दावा था कि यह प्लॉट जीवनभर उन्हीं के रहेंगे। प्लॉटिंग के लिए बाकायदा उसने अपने साम्राज्य के तहसीलदार और एसडीएम भी तैनात कर दिए थे। ऐसे कई लोग थे, जो 200 गज के प्लॉट की बात सुनकर ही संगठन से जुड़ गए थे।

कथित सत्याग्रहियों से सेना, पुलिस तक खौफ खाती थी जवाहर बाग में कब्‍जे को लेकर हिंसक संघर्ष करने वाले 3 हजार से कब्जाधारियों की यहां समानांतर सरकार थी। अपनी सरकार औऱ अपनी मांगों को लेकर कब्जाधारियों ने मथुरा प्रशासन की नाक में दम कर रखा। खुद को सुभाषचंद्र बोस का अनुयायी कहने वाले कथित सत्याग्रहियों का इतना खौफ था कि पुलिस, पीएसी ही नहीं सेना तक इनके साम्राज्य को चुनौती देने से डरती थी। कई बार सत्याग्रहियों ने पुलिस को टीम को बंधक बनाकर सीधे पुलिस को चुनौती तक दी है। कथित सत्‍याग्रहियों की अजीबो-गरीब मांगे थीं, जो कभी पूरा न हो सकने वाली थी। इन मांगों को बाकायदा दीवारों पर लिख रखा गया था।

सत्याग्रहियों की अजब मांगें नारा था, ‘आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन करना होगा, नहीं तो भारत छोड़ना होगा’। देश में आजाद हिंद फौज के कानून लागू किया जाए। पेट्रोल-डीजल के दाम एक रुपए/लीटर की जाए। देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन किया जाए। जवाहरबाग की 270 एकड़ जमीन सौंप दी जाए। देश में अंग्रेजों के समय से चल रहे कानून खत्‍म हों। पूरे देश में मांसाहार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। मांसाहार करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन शुरू की जाए। भारत के फर्स्ट नागरिक की पहचान बताई जाए।

Be the first to comment on "रामवृक्ष यादव रोज लगाता था जवाहरबाग में दरबार, खुद कहलाता था सम्राट"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!