लफंगों के लिए नहीं है दिल्ली यूनिवर्सिटी, राजनीतिक गतिविधियों पर लगे बैन: हाईकोर्ट

दिल्ली विश्वविद्यालय लफंगों के लिए पनाहगाह नहीं है, बल्कि खुली सोच वाले लोगों के लिए है, जो पढ़ाई करना चाहते हैं। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय में लॉ फैकल्टी डीन व अध्यापकों के साथ मई 2016 में मारपीट व बदसलूकी के मामले में कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए की है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल व जस्टिस नजमी वजीरी की खंडपीठ ने कहा कि जिस तरह से लोग विश्वविद्यालय में व्यवहार करते हैं, उसे देखते हुए कैंपस में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। कैंपस को सुरक्षित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस को डीन वेद कुमारी व अन्य अध्यापकों से मारपीट व बदसलूकी के मामले में 23 जून तक एफआईआर न करने और डीयू की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अपनी स्वतंत्र जांच क्यों नहीं की। पुलिस ने मामले की सुनवाई दूसरी एजेंसी को ट्रांसफर करने के अलावा पिछले आठ महीनों के दौरान क्या किया।

खंडपीठ ने पुलिस को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर स्वतंत्र जांच करने व विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अगर पुलिस ऐसा करने में नाकाम रहती है तो उसे कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।

कोर्ट ने पुलिस से मांगा हलफनामा

कोर्ट ने पुलिस को कहा कि वह अपने हलफनामे में यह बताए कि इस मामले में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने डीन वेद कुमारी को चौबीस घंटे की सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने नौ अगस्त की तारीख तय की है।

खंडपीठ ने यह निर्देश मामले में खुद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। गौरतलब है कि लॉ फैकल्टी के छात्रों ने कम उपस्थिति के कारण परीक्षा में बैठने से रोकने पर डीन व अन्य अध्यापकों के खिलाफ 19 मई को प्रदर्शन किया था। इसके बाद दोबारा नवंबर व दिसंबर 2016 में ऐसी घटनाएं हुई थीं।

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