विदेश सचिव ने संसदीय समिति को बताया,पहले भी हुई हैं सर्जिकल स्ट्राइक

संसद की एक समिति को आज बताया गया कि सेना ने विगत में भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था जो विशिष्ट लक्ष्य वाले सीमित क्षमता के थे लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है। यह टिप्पणी रक्षा मंत्री के दावे की विरोधाभासी प्रतीत होती है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने विदेश मामलों से संबंधित संसदीय समिति को यह सूचना दी। सांसदों ने उनसे विशिष्ट रूप से सवाल किया था कि क्या विगत में भी लक्षित हमले किए गए थे। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार विगत में नियंत्रण रेखा के पार विशिष्ट लक्ष्य वाले, सीमित क्षमता के आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए गए थे, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है।

 

शीर्ष राजनयिक की टिप्पणी काफी अहम है क्योंकि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले हफ्ते कांग्रेस के दावों को खारिज कर दिया था कि संप्रग कार्यकाल में भी लक्षित हमले किए गए थे। सदस्यों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि जयशंकर ने समिति से यह भी कहा कि 29 सितंबर के लक्षित हमले के बाद भी भारत पाकिस्तान से बातचीत कर रहा है लेकिन भविष्य की बातचीत तथा इसके स्तर के बारे में कोई कैलेंडर नहीं तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि आपरेशन के समाप्त होने के बाद शीघ्र ही पाकिस्तानी सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) को हमलों के बारे में सूचित कर दिया गया था। करीब ढाई घंटे चली बैठक के दौरान सेना के उप प्रमुख ले़ जनरल बिपिन रावत ने भी नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के ठिकानों पर लक्षित हमले का ब्यौरा दिया।

सरकार के प्रतिनिधियों ने पैनल से कहा कि हमलों ने मकसद को अभी पूरा कर दिया है और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान में हमेशा यह संदेह कायम रहेगा कि क्या भारत भविष्य में भी ऐसे अभियान चला सकता है। कांग्रेस के एक सदस्य जानना चाहते थे कि क्या भविष्य में भी ऐसे अभियान चलाए जा सकते हैं। सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि काफी कुछ सहने के बाद हमले किए गए। हमले में आतंकवादियों के हताहत होने के बारे में सवाल किए जाने पर अधिकारियों ने कहा कि सेना नियंत्रण रेखा के पार हमले करने गयी थी न कि सबूत एकत्र करने।

बैठक के दौरान भाजपा और वाम दल के एक सदस्य के बीच शब्दों का आदान प्रदान हुआ जब हमलों के बाद सांसदों की सुरक्षा का मुददा उठाया गया। कुछ सदस्यों ने कहा कि बैठक का विषय निजी सुरक्षा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा है। विशेष सचिव आंतरिक सचिव एम के सिंघला ने अति महत्वपूर्ण लोगों को दी जा रही सुरक्षा के बारे में समिति को सूचित किया। बैठक में रक्षा सचिव जी मोहन कुमार और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक के के शर्मा भी शामिल हुए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी समिति के सदस्य हैं। एक सदस्य ने कहा कि वह बैठक में शामिल हुए लेकिन उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछा।

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