वैश्विक समाज में गरीबी-अमीरी का अंतर कम करने के लिये जरूरी है एकात्म मानववाद

वाशिंगटन में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय फोरम के शुभारंभ सत्र में मुख्यमंत्री श्री चौहान

भोपाल :मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विश्व में बढ़ रही भौतिकवादी प्रवृत्ति से अमीरी और गरीबी का अन्तर काफी बढ़ गया है। इससे मनुष्य की आंतरिक शक्ति और शांति छिन्न-भिन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समाज में एकरूपता लाने के लिये जरूरी है कि अमीरी-गरीबी के बीच के अंतर को कम से कम किया जाये। श्री चौहान ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिंद्धात से प्रेरणा लेकर अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व के सामने वर्तमान में व्याप्त ग्लोबल वार्मिंग, गरीबी, बेरोजगारी, भौतिकवाद से उत्पन्न, ड्रग्स, महिला उत्पीड़न और असमानता जैसी चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज वाशिंगटन डीसी में विश्व प्रसिद्ध रसेल सीनेट हॉल में भारतीय दूतावास के सहयोग से फाउंडेशन फॉर इंडिया एण्ड इंडिया डायस्पोरा स्टडीज यूएसए द्वारा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय फोरम के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में अमेरिकी सीनेट के सदस्यों श्री राजा कृष्णमूर्ति, श्री पीटे ओलसन और श्री राम माधव सहित 200 से अधिक विशिष्टजन उपस्थित थे। मुख्यमंत्री द्वारा एकात्म मानववाद की सरल व्याख्या से प्रभावित होकर उपस्थित सभी आमंत्रितों ने खड़े होकर तालियों से मुख्यमंत्री का अभिवादन किया।

एकात्म मानववाद प्रेरित हैं विकास योजनाएँ

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के दर्शन की व्याख्या करते हुए कहा कि मानवता और मनुष्य के लिये केवल भौतिक समृद्धि पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर गरीब कल्याण एजेण्डे पर तेजी से अमल किया जा रहा है। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश दुनिया में संभवत: पहला उदाहरण है !

जहाँ 5 वर्षों से एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट लगातार 20 प्रतिशत कायम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊँची विकास दर हासिल करने के बावजूद यदि गरीब तबकों का विकास न हो, तो समाज सुखी नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया में 2-3 प्रतिशत लोगों ने 70 प्रतिशत से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार कर लिया है। गरीब लोग संसाधनों से दूर हो गये हैं। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में गरीबों को संसाधनों से सम्पन्न बनाने के लिये कई रणनीतियाँ, नीतियाँ और कार्यक्रम बनाये गये हैं। सभी प्रयास और नवाचार पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के दर्शन से प्रेरित हैं। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में ऐसी नीतियाँ बनाई गईं हैं जिनसे यह सुनिश्चित होता है कि सक्षम नागरिक टैक्स दें और कमजोर तथा असहाय लोगों को उनका हक मिले।

बेटियों के प्रति मानसिकता बदली

श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये किये गये प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि अब बेटियों को बोझ नहीं माना जाता। उन्होंने लाडली लक्ष्मी योजना के प्रभाव की चर्चा करते हुए बताया कि इससे लोगों की मानसिकता बदली है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में मध्यप्रदेश बहुत आगे निकल गया है। महिलाओं को स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व देने और उच्च पदों पर आसीन होने के लिये प्रोत्साहित करने में भारत कई देशों से आगे निकल गया है। भारत में विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, लोक सभा स्पीकर, जल-संसाधन मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं का नेतृत्व मिल रहा है।

सरकारी नौकरी में भी शिक्षकों के पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण बेटियों को दिया गया है। केवल फारेस्ट डिपार्टमेंट छोड़कर सभी सरकारी विभागों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसमें पुलिस विभाग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था का परिणाम यह रहा कि महिलाएँ अपनी प्रतिभा और क्षमता से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शाश्वत शांति का दिग्दर्शन केवल एकात्म मानव दर्शन से हो सकता है। प्रकृति के हर अंग में एक ही चेतना है। उन्होंने कहा कि इसी दर्शन से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का समाधान निकल सकता है।
श्री चौहान ने बताया कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने साफ कहा है कि प्रकृति का शोषण मत करो, इसका दोहन करो। प्रकृति के पास सबके लिये कुछ न कुछ है जिससे जीवन चल सकता है। लालच में आकर प्रकृति का विनाश करना सबसे बड़ा दुष्कर्म है। श्री चौहान ने विश्व के सबसे बड़े नदी संरक्षण अभियान नर्मदा सेवा यात्रा की चर्चा करते हुए बताया कि एक दिन में ही नदी के दोनों किनारों पर सात करोड़ से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया ताकि नदी जीवंत बनी रहे। उन्होंने कहा कि प्रकृति की आराधना सबसे बडा धर्म है।

 

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