सातवें वेतन आयोग के विरोध में शिक्षकों का काला दिवस

नई दिल्ली। दिल्ली विश्विद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को देश के शिक्षक समुदाय के साथ बड़ा धोखा बताते हुए इसके खिलाफ 15 नवम्बर को काला दिवस मानाने और 21 नवम्बर को प्रतिरोध रैली निकलने का फैसला किया है।

डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने आज यहाँ पत्रकारों से कहा कि शिक्षकों के लिए गठित किसी वेतन आयोग ने इतनी नाइंसाफी शिक्षकों के साथ कभी नहीं की थी जितनी सातवें वेतन आयोग ने की।

उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 11 अक्टूबर को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों की घोषणा करते हुए बताया कि शिक्षकों के वेतनमान में 22 से 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी है लेकिन हकीकत है कि 11 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक की वास्तविक वृद्धि की गई।

उन्होंने कहा कि श्री जावड़ेकर ने इस तरह गलत जानकारी देकर देश को गुमराह किया है और शिक्षकों के साथ अन्याय किया है इसलिए इसके विरोध में हम लोग 15 नवम्बर को काला दिवस मानाने जा रहे हैं और 21 नवम्बर को मंडी हाउस से संसद तक रैली भी निकालेंगे।
अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो हम इस मुद्दे पर भविष्य की करवाई की रुरेखा तैयार कर बड़ा आन्दोलन करेंगे।

उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग में शिक्षकों की पेंशन और भत्तों के बारे में कोई घोषणा नहीं की गयी जबकि हर वेतन आयोग में यह जिक्र होता था कि शिक्षकों को कितनी पेंशन मिलेगी और क्या-क्या भत्ते मिलेंगे। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि सरकार के इरादे ठीक नहीं और वह भत्ते कम करने जा रही है इसलिए उसकी घोषणा नहीं की गई।

श्री रे ने यह भी कहा कि 31 दिसंबर 2008 के बाद दिल्ली विश्विद्यालय के किसी शिक्षक की पदोन्नति नहीं की गयी और सातवें वेतन आयोग में वरिष्ठ प्राचार्य को छह साल तक, वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफ़ेसर को सात साल तथा वरिष्ठ प्रोफ़ेसर को चार साल तक पदोन्नति का कोई अवसर नहीं दिया है।

डूटा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सातवें वेतन आयोग में प्राचार्य को मिलनेवाले तीन हज़ार रुपये के विशेष भत्ते में भी कोई वृद्धि नहीं की गई है जबकि यह करीब आठ हज़ार रुपये होनी चाहिए और पांच साल के बाद प्राचार्य वापस अपने पद पर जाता है तो उसे प्राचार्य पद से कम वेतन मिलेंगे। इस तरह उनके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है। इसके अलावा एम् फिल और पी एच डी कर चुके शिक्षकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि भी ख़त्म कर दी गई है।

श्री रे केन्द्रीय विश्विद्यालय शिक्षक संघ के भी अध्यक्ष हैं और उन्होंने कहा कि उनके इस आन्दोलन को सभी केन्द्रीय विश्विद्यालयों का समर्थन भी प्राप्त है।

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