सिंधिया का शहर: कचरे में घिरी मिली महात्मा गांधी की समाधि

भोपाल। महात्मा गांधी का महत्व भारत देश और कांग्रेस के लिए कितना है, यह बताने की जरूरत नहीं, दशकों तक कांग्रेस महात्मा गांधी के नाम पर वोट हासिल करती रही लेकिन अब बात बदल सी गई है। शायद इसीलिए राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेताओं में से एक, मप्र में भाजपा द्वारा स्वीकार लिए गए सीएम कैंडिडेट ज्योतिरादित्य सिंधिया के शहर में पुण्यतिथि के दिन महात्मा गांधी की समाधि कचरे से घिरी मिली।

30 जनवरी, महात्मा गांधी की पुण्यतिथि थी। शिवपुरी में चुनावी माहौल चल रहा है। बावजूद इसके महात्मा गांधी की समाधि पर 2 फूल चढ़ाने कोई नहीं आया। शायद आचार संहिता के कारण जिला प्रशासन ने भी यहां सरकारी पुष्प नहीं भेजे। यहां तक कि नगरपालिका ने समाधि स्थल की सफाई करवाना भी उचित नहीं समझा। यह हाल है उस शिवपुरी शहर के जिसे सिंधिया का शहर कहा जाता है।

ये वही शिवपुरी शहर है, जहां से राजमाता विजयाराजे सिंधिया राजनीति में पहले दिन से जीवन के अंतिम दिन तक प्रतिनिधि चुनी जाती रहीं। जहां से स्व. माधवराव सिंधिया को उस समय भी जिताया गया जब वो भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया से परेशान होकर अपनी पारंपरिक ग्वालियर सीट छोड़ आए थे। जहां से यशोधरा राजे सिंधिया विधायक हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद। इनके दर्जनों सांसद/विधायक प्रतिनिधि शहर की सड़कों पर गश्त करते मिल जाते हैं, लेकिन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर इनकी तरफ से भी कोई औपचारिकता पूरी करने तक नहीं आया।

हां, कांग्रेस सेवादल के कुछ कार्यकर्ता जरूर आए थे, अपना धर्म निभाने। उन्होंने साफ सफाई भी की। गांधी की समाधि के आसपास पड़ीं शराब की बोतले हटाईं और फूल चढ़ाए। यदि सेवादल वाले ना होते तो पुण्यतिथि के दिन भी गांधी अपनी समाधि में ही कराह रहे होते।

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