मुस्लिम धर्मावलंबी कर रहे हैं साधु-संतों का स्वागत और सम्मान
भोपाल :
ज्जैन में चल रहे सिंहस्थ महाकुंभ में एकता, भाईचारा, साम्प्रदायिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब की अनेक मिसाल देखने को मिल रही हैं। एक ऐसा अदभुत उदाहरण नागदा-उन्हेल रोड पर देखने को मिला, जब मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने सिंहस्थ में पधारे साधु-संतों का गर्मजोशी के साथ तहेदिल से स्वागत और सम्मान किया।
कार्यक्रम उज्जैन के जामिया अरबिया सिराजुल उलूम और जमीयत उलमा-ए-हिन्द द्वारा किया गया था। इस आध्यात्मिक समागम में हिन्दू और मुस्लिम धर्म-गुरूओं ने शिरकत की। कार्यक्रम में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र गिरि महाराज, महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज, निर्मोही अखाड़े के श्री राजेन्द्र दास महाराज, योगी दुष्यंत सहित सिंहस्थ में पधारे अन्य साधु-संतों का आयोजक संगठन सहित अन्य संस्थाओं और मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने स्वागत और सम्मान किया। जामिया अरबिया सिराजुल उलूम के बच्चों ने कुरान की आयतें पढ़ी। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र गिरि महाराज ने कहा कि ईश्वर को पाने के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सबकी मंजिल एक ही है। इसके लिये हमें एक-दूसरे की उपासना पद्धति का आदर करना चाहिए। भ्रम फैलाने वाले लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।
महामंत्री श्री हरिगिरि महाराज ने साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने की इस पहल के लिये आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सार शांति-एकता एवं भाईचारा ही है। हम सब मिलकर एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी और आचार-विचार को आत्मसात कर राष्ट्र की उन्नति में मददगार बने।
आयोजक हाफिज मोहम्मद तकी अफी अना ने कहा कि हमारा मकसद हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखना है। उन्होंने कहा कि सभी धर्म प्रेम एवं सदभाव से रहना सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि सब सदभावना के साथ रहें, जिससे देश का विकास तेजी से हो। नई दिल्ली से आए मौलाना अब्दुल रशीद साहब दोस्तम ने कहा कि हम सबको अच्छे कर्म करना चाहिए और बुरे कर्मों से हमेशा बचना चाहिए। बुरे कर्मों का नतीजा कभी भी अच्छा नहीं होता है।
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