भोपाल। क्रिकेट मैच में भारत की हार और पाकिस्तान की जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने और पटाखे फोड़ते हुए जश्न मनाने पर देशद्रोह की धारा में गिरफ्तारी के सिर्फ चौबीस घंटे में धारा बदल दी गई। दूसरी ओर, आनन फानन में धारा बदलने के पीछे खंडवा से लेकर बुरहानपुर तक फैला अदावत का सियासी गणित बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि देशद्रोह के आरोप में बुरहानपुर जिले के मोहद गांव से पकडे गए 15 युवकों का मामला पुलिस जांच में प्रथमदृष्टया सही था और कई ठोस सबूत थे, जिनके आधार पर पुलिस धारा 124 ए के तहत ही अभियोग पत्र अदालत में पेश करती। लेकिन, देशद्रोह में गिरफ्तारी की खबर फैलते ही सियासी नफा-नुकसान का गणित लगाया जाने लगा। इसके बाद दबाव बनाया गया और वरिष्ठ अधिकारियों तक बात पहुंची। आखिरकार चौबीस घंटे में ही शाम को नेपा नगर एसडीओ पुलिस करन सिंह रावत का एक फरमान शाहपुरा थाना प्रभारी संजय पाठक के पास पहुंच गया। इस फरमान में साफ था कि पर्याप्त सबूतों के अभाव में देशद्रोह की धारा 124 ए को संशोधित करके समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने वाली धारा 153 ए लगाई जाए। ऐसा ही हुआ और पुलिस ने धारा में संशोधन संबंधी सूचनात्मक आवेदन भी बुरहानपुर जिला कोर्ट में पेश कर दिया।
बदलाव के पीछे सियासी पेंच
सत्ताधारी दल के दो दिग्गजों के बीच जारी कोल्ड वॉर किसी से छिपा नहीं है। देशद्रोह का केस दर्ज होने पर अपने इलाके की बदनामी के साथ ही आगामी चुनाव में नुकसान को देखते हुए दबाव बनाया गया। यहां तक की पुलिस के आला अफसरों से भी बात की गई, ताकि देशद्रोह की धारा को हटाया जा सके। यह दबाव काम आया और चौबीस घंटे में ही धारा में संशोधन हो गया।
दूसरी ओर, दूसरे दिग्गज ने अभी हार नहीं मानी है, बल्कि देशद्रोह केस मामले में फिर से पुरानी धारा लगवाने के लिए ही कोशिश शुरु हो गई है। ऐसे में माना जा रह है कि एक बार फिर से धारा में बदलाव हो सकता है।
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