भोपाल । प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते सरकारी कॉलेजों के लगभग 30 हजार शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों का प्रमोशन अटका हुआ है। उच्च विभाग में अंतिम पदोन्नति 2010 में दी गई थी। इसके बाद से पिछले सात सालों में कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली यानि सीआर नहीं लिखे जाने के चलते किसी भी संवर्ग में पदोन्नति नहीं हो सकी है। उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व आयुक्त बीएस निरंजन, सचिन सिन्हा, उमाकांत उमराव और उसके बाद एमबी ओझा ने सीआर के लिफाफे ही नहीं खोले। जानकारी के अनुसार पिछले सात साल से उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने गोपनीय चरित्रावली लिखना उचित नहीं समझा। लापरवाही का आलम ये है कि प्रदेश के कॉलेजों के एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रोफेसर और कॉलेज प्रिंसिपल की सीआर उच्च शिक्षा संचालनालय ने मंत्रालय नहीं भेजी। इससे करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों का प्रमोशन रुक गया है। चार आयुक्तों ने तो अप्रेजल वार्षिक रिपोर्ट के लिफाफे तक नहीं खोले।
सात साल से नहीं लिखी गई सीआरा
प्र प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष कैलाश त्यागी के अनुसार यह हर साल होने वाली प्रक्रिया है।
लेकिन, सात साल से कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर, प्रोफेसर, प्रिंसिपल, स्पोर्ट्स आॅफिसर, लाइब्रेरियन की सीआर ही नहीं लिखीं गई। विभाग में कॉलेजों और संभागीय कार्यालयों से हर साल करीब 4 हजार सीआर संचालनालय भेजी जाती हैं। नियमानुसार संचालनालय सभी सीआर की समीक्षा कर उन्हें फाइनल करता है। लेकिन 2010-11 के बाद से संचालनालय ने कॉलेजों और संभागीय कार्यालयों से आईं सीआर की फाइलों पर ध्यान ही नहीं दिया।
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