सेनारी नरसंहार: 10 को मौत की सजा, 3 को उम्र कैद, 2 फरार

पटना- बहुचर्चित सेनारी नरसंहार केस में जहानाबाद जिला कोर्ट ने आज सजा का ऐलान कर दिया। 18 मार्च 1999 में जहानाबाद में हुए नरसंहार मामले में कोर्ट नो 15 दो दोषियों में से 10 को मौत की सजा सुनाई जबकि 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं दो दोषी अभी भी फरार हैं। इससे पहले कोर्ट ने 20 दोषियों को बरी कर दिया था। 70 आरोपियों में से 4 की मौत सुनवाई के दौरान हो चुकी है।

सेनारी नरसंहार के मामले में जहानाबाद के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार सिंह की कोर्ट ने बीते 27 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए 15 आरोपियों को तथा बाद में फिर एक अन्य को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 23 आरोपियों को रिहा कर दिया था।

 

आज उनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई।

कोर्ट ने 13 दोषियों को सजा सुना दी, जबकि शेष दो फरार दोषियों को फरार रहने के कारण उन्हें सजा नहीं दी जा सकी। एक अन्य दोषी को कोर्ट 18 नवंबर को सजा सुनाएगी। कोर्ट ने बच्चेष सिंह, बुद्दन यादव, बुटाई यादव, सत्येन्द्र दास, ललन पासी, द्वारिका पासवान, करीबन पासवान, गोड़ाई पासवान, उमा पासवान व गोपाल पासवान को फांसी की सजा दी।

दोषियों को सजा के एलान के बाद सेनारी गांव पर प्रतिक्रिया में फिर कोई वारदात न हो जाए, इसके लिए पुलिस पहले से सतर्क है। गांव की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

आपको बता दें कि 18 मार्च 1999 की रात सेनारी में 34 लोगों के हाथ-पांव बांधकर उनके गला रेत दिए गए थे। सभी मृतक एक खास अगड़ी जाति के थे। उस समय इस नरसंहार में प्रतिबंधित संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर यानी एमसीसी को शामिल माना गया था।

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