‘‘सोयाबीन फसल में कीट नियन्त्रण हेतु सुझाव’’

Bhopal : राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के आर.ए.के.कृषि महाविद्यालय, सीहोर के कीट वैज्ञानिकों ने मीडिया को बताया कि अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन फसल की स्थिति अच्छी है। लगातार वर्षा होने के बाद धूप एवं फिर बादल की स्थिति बनने से कहीं-कहीं पर फसल पर कीट प्रकोप होने की संभावना है।
वर्तमान में सोयाबीन फसल पर चने की इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। ये इल्ली हरे, पीले, काले या गहरे भूरे रंग की होती है इसकी ऊपरी सतह पर गहरे भूरे एवं पीले रंग की धारियां होती हैं। बड़ी अवस्था की इल्ली 30-35 मि.मी. लम्बी होती हैं। ये पŸिायों, नई कलियों, फूलों व फलियों को खाकर फसल को नुकसान पहुॅचाती हैं।

illi1

 

कहीं-कहीं हरी एवं भूरी अर्धकुण्डलक इल्लियों का प्रकोप मिल रहा है। एक काली चिकनी सी इल्ली जिसके अगले सिरे पर काले गोेल धब्बे दिखाई देते हैं सोयाबीन फसल को नुकसान कर रही है। किसानों को यह सलाह दी जाती है कि खेतों का लगातार निरीक्षण करते रहें। छोटी अवस्था की इल्लियों के नियन्त्रण हेतु क्विनालफाॅस 25 ई.सी. या प्रोफेनोफाॅस 40 ई.सी. का 1.5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। यदि इल्लियो बड़ी हो गई हैं तो इनके नियन्त्रण हेतु अविलम्ब इन्डाक्साकार्ब 14.5 एस.पी. फसल की अवस्था के अनुसार 300-500 मि.ली./हेक्टर या रायनाक्सीपाॅयर 20 एस.सी. 100 मि.ली./हेक्टर या इमामेक्टीनबेन्जोएट 5 ई.सी. 250 ग्राम/हेक्टर या फ्लूबेन्डायामाइट 150 मि.ली./हेक्टर की दर से छिड़काव करें। किसान भाई ध्यान रखें एक ही कीटनाशक का लगातार छिड़काव न करें।

illi
कहीं-कहीं फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप प्रारम्भ हो गया है। इसके नियन्त्रण हेतु इथोफेनप्राक्स 10 ई.सी. 1.25 लीटर/हेक्टर या इथियान 50 ई.सी. 1.5 लीटर/हेक्टर या एसिटामाप्रीड 20 एस.पी. 200-250 ग्राम/ हेक्टर या थायामेथाक्सम 25 डब्लू.जी. 100 ग्राम/ हेक्टर की दर से छिड़काव करें। कीटनाशक दवा के साथ धानुविट या सन्डोविट चिपकने वाला पदार्थ 1 मि.ली./लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें जिससे कीटनाशक पŸिायों से चिपक कर अधिक समय तक प्रभावी व असरदार बना रहे यह ध्यान रखें कि दवा छिड़काव के 4-5 घण्टे तक वर्षा नहीं होना चाहिए यदि ऐसा होता है तेा पुनः दवा का छिड़काव करना आवश्यक जाता है।

illi3

नियमित करें फसलों का निरीक्षण


राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के आर.ए.के.कृषि महाविद्यालय,

 

scientist

सीहोर की  प्रमुख वैज्ञानिक, कीट डाॅ. (श्रीमती) नन्दा खाण्डवे ने बताया कि अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन फसल की स्थिति अच्छी है। लगातार वर्षा होने के बाद धूप एवं फिर बादल की स्थिति बनने से सोयाबीन फसल पर कीट प्रकोप होने की संभावना है।
वर्तमान में सोयाबीन फसल पर कहीं-कहीं हरी एवं भूरी अर्धकुण्डलक इल्लियों का प्रकोप मिल रहा है। भूरी अर्द्ध कुण्डलक इल्ली का सिर पतला एवं पिछला हिस्सा चैड़ा होता है एवं पीलापन लिए हुए हरे रंग की होती है। इसके दोनों तरफ एक एक धारी होती है। ये इल्लियां छोटी अवस्था में सोयाबीन की पŸिायेां को खुरच कर खाती हैं तथा बाद में कलियों, फूलों एवं नई फलियों को खाकर नुकसान करती हैं। फसल पर चक्रभृंग कीट (गर्डल बीटल) का प्रकोप भी दिखाई दे रहा है। इस कीट की मादा अपने मुखंागों से तने के ऊपरी भाग, पŸिायों के पर्ण वृन्त या कोमल डण्ठलों पर दो चक्र बनाती हैं तथा निचले चक्र के पास तीन छेेद बनाकर बीच वाले छेद में अण्डा देती है। चक्र बनने से ऊपर का भाग सूख जाता है। इस तरह सूखे पौधे आसानी से पहचाने जा सकते हैं। किसानों को यह सलाह दी जाती है कि खेतों का लगातार निरीक्षण करते रहें।
उपरोक्त कीटों के नियन्त्रण हेतु क्विनालफाॅस 25 ई.सी., क्लोरपायरीफाॅस 20 ई.सी. या प्रोफेनोफाॅस 40 ई.सी. का 1.5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करे ।

illi


वर्षा होने के बाद धूप एवं फिर बादल की स्थिति बनने से  फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप होने की संभावना है। सफेद मक्खी फसल पर विषाणु जनित पीला मौजेक   रोग फैलाती हैं। रोग के लक्षण पौधे की निकलने वाली नई पŸिायों पर दिखाई देते हैं तथा पŸिायों पर बेतरतीब ढंग से फैलकर बड़े बड़े चमकीले पीले धब्बे बन जाते हैं। पŸाी की मुख्य षिरा के साथ पीली पट्टी बन जाती है व बाद में पूरी पŸाी पीली पड़ जाती है।
सफेद मक्खी के नियन्त्रण हेतु थायामेथाक्सम 25 डब्लू.जी. 100 ग्राम/हेक्टर या इथोफेनप्राक्स 10 ई.सी. 1.25 लीटर/हेक्टर या एसिटामाप्रीड 20 एस.पी. 200-250 ग्राम/ हेक्टर की दर से या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. की 100 मि. ली. /हेक्टर की दर से छिड़काव करें। कीटनाशक दवा के साथ धानुविट या सन्डोविट चिपकने वाला पदार्थ 1 मि.ली.प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें जिससे कीटनाशक पŸिायों से चिपक कर अधिक समय तक प्रभावी व असरदार बना रहे। यह ध्यान रखें कि दवा छिड़काव के 4-5 घण्टे तक वर्षा नहीं होना चाहिए यदि ऐसा होता है तो दवा का पुनः छिड़काव करना आवश्यक हो जाता है।

illi3

illi1

Be the first to comment on "‘‘सोयाबीन फसल में कीट नियन्त्रण हेतु सुझाव’’"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!