“स्कूल चलें हम” अभियान शाला-त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को स्कूल भेजने की रणनीतिक पहल

भोपाल :

हर बच्चा स्कूल जाये, उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिये इस वर्ष भी ‘स्कूल चलें हम” अभियान चलाया जायेगा। रायसेन जिले के सिलवानी से 15 जून को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान अभियान का शुभारंभ करेंगे। राज्य सरकार ने इस अभियान को एक चुनौती मानकर सुनियोजित रणनीति के साथ गाँव-गाँव जाकर मूर्त रूप देने का काम शुरू किया है।

नये शिक्षा सत्र में हर पढ़ने वाला बच्चा स्कूल पहुँचे, इसके लिये 4 चरण में विभिन्न गतिविधि को चलाया जायेगा। ‘स्कूल चलें हम” अभियान की गतिविधियाँ ‘ग्राम उदय से भारत उदय” अभियान के समय से ही संचालित हैं।प्रथम चरण

‘स्कूल चलें हम” अभियान के प्रथम चरण में ग्राम और वार्ड की शिक्षा पंजी, समग्र शिक्षा पोर्टल और डाटा-बेस एवं डाइस (डिस्ट्रिक्ट इनफर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) डाटा-बेस को एकीकृत किया जायेगा। इसके क्रियान्वयन से प्रदेश के जीरो से 18 वर्ष आयु तक के बच्चों का स्कूल और आँगनवाड़ी में नामांकन सुनिश्चित होगा। आँगनवाड़ी, स्कूलों में नामांकन, शाला-त्यागी और शाला-अप्रवेशी बच्चों की प्रमाणिक जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी। इससे अलग-अलग डाटा-बेस एक जगह पर होने से योजना का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन हो सकेगा। प्रथम चरण के क्रियान्वयन के लिये सर्वे टीम बनायी गयी है। इसमें गाँव के स्कूलों के प्राचार्य और शिक्षकों को दल का प्रभारी बनाया गया है। इसमें आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, मोटिवेटर और पंचायत एवं स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि को सदस्य सचिव बनाया गया है। सर्वे दल द्वारा प्रत्येक परिवार से सम्पर्क कर समग्र शिक्षा पोर्टल से प्राप्त सूची का सत्यापन और अद्यतन का काम किया गया। इस पूरे काम को 30 मई तक किया गया।

दूसरा चरण

अभियान का दूसरा चरण बच्चों के नामांकन और उपस्थिति पर केन्द्रित रहेगा, जो 31 जुलाई तक चलेगा। इसमें ऐसे स्थानों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा, जहाँ वर्ष 2014-15 और 2015-16 में नामांकन में गिरावट आयी है। अभियान के दौरान प्रभारी शिक्षकों द्वारा बच्चों के पालकों से सम्पर्क किया जायेगा। शिक्षक 5+ आयु वर्ग के बच्चों को कक्षा-एक, पाँचवीं में पास बच्चों को कक्षा छठवीं में और आठवीं में पास बच्चों को अगली कक्षा में नामांकन दर्ज करवाने के उत्तरदायी होंगे। प्रभारी शिक्षक अपनी-अपनी शालाओं के बच्चों के पालकों से शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले दो बार सम्पर्क करेंगे। इस दौरान सामुदायिक सहभागिता के जरिये शाला से बाहर एवं शाला-त्यागी बच्चों को स्कूल भेजने के लिये वातावरण का निर्माण करेंगे। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये स्थानीय पंच, जन-प्रतिनिधियों, एसएमसी के सदस्यों और प्रेरकों का सहयोग लिया जायेगा। ग्राम चौपाल में शैक्षिक चर्चा के साथ ही दीवार-लेखन सहित पंचायत भवन, राशन दुकान, खाद-बीज वितरण केन्द्र आदि प्रमुख स्थानों पर शाला-त्यागी और शाला से बाहर बच्चों की जानकारी का प्रदर्शन किया जायेगा। कम नामांकन वाली बसाहटों में विशेष प्रयासों में प्रभारी शिक्षक सक्रियता के साथ काम करेंगे। नामांकन कार्य में प्रेरकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाया गया है। प्रेरक के रूप में प्रभावी व्यक्तियों, युवाओं, एनसीसी, एनएसएस और जन-अभियान परिषद के सदस्यों को नामांकित किया गया है। प्रेरकों के जिला, विकासखण्ड और संकुल-स्तर पर प्रेरक सम्मेलन किये गये। दूसरे चरण में कक्षा-एक से लेकर कक्षा-आठवीं तक में बच्चों की उपस्थिति एवं नामांकन पंजी शत-प्रतिशत दर्ज हो, यह सुनिश्चित किया जायेगा। नामांकन पंजी में एक से बारहवीं तक दर्ज सभी बच्चों की समग्र आई.डी. उनके नाम के आगे अंकित की जायेगी।

तीसरा और चौथा चरणअभियान के तीसरे और चौथे चरण में शैक्षिक गुणवत्ता के साथ बच्चों और शिक्षकों की विद्यालयों में नियमित उपस्थिति और उपलब्धियों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। प्रवेशोत्सव 15 जून से शुरू होगा। इसमें 7 दिन तक सभी स्कूल में विभिन्न सांस्कृतिक और खेल-कूद गतिविधियाँ की जायेंगी, ताकि बच्चों की स्कूल आने में रुचि बढ़ सके। इस दौरान बच्चों के पालक, नागरिकों, जन-प्रतिनिधियों और पूर्व छात्रों को भी गतिविधियों से जोड़ा जायेगा। प्रवेशोत्सव में अनुपस्थित बच्चों से सम्पर्क कर उन्हें नियमित शाला आने के लिये प्रेरित किया जायेगा। एक जुलाई, 2016 तक सभी बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति दर्ज होने की जानकारी ग्रामसभा में दी जायेगी।

पालकों के पलायन करने पर उनके बच्चे अन्य जिलों में चले जाते हैं, जिससे वे शिक्षा से वंचित होते हैं। ऐसे बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये समग्र शिक्षा पोर्टल पर अद्यतन जानकारी संबंधित जिले के जिला परियोजना समन्वयक को दी जायेगी। यह जिम्मेदारी पलायन करने वाले जिलों के जिला परियोजना अधिकारी की होगी। इसके आधार पर जिन जिलों में पलायन हुआ है, वहाँ के परियोजना अधिकारी इन बच्चों को संबंधित शाला में प्रवेश दिलवाने और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। माइग्रेटरी छात्रावास भी बनाये जायेंगे, ताकि पलायन करने वाले बच्चे इसमें रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकें।

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समावेशित शिक्षा दी जायेगी। इन बच्चों के छात्रावास का विशेष रूप से ध्यान रखा जायेगा। सहायक परियोजना समन्वयक माह में एक बार स्वयं जाकर और कम से कम दो बार मोबाइल द्वारा छात्रावास का निरीक्षण और मॉनीटरिंग करेंगे।गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

‘स्कूल चलें हम” अभियान का एक और मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। इसके लिये वर्ष 2015-16 के परीक्षा परिणाम के आधार पर कमजोर बच्चों के लिये विशेष कक्षा लगायी जायेंगी। सत्र प्रारंभ होते ही हर शाला में एक माह तक पिछली कक्षा के पाठ्यक्रम का रिवीजन करवाया जायेगा। माह के अंत में बच्चों के अंदर आयी दक्षता और सुधार का आकलन किया जायेगा। यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों को पढ़ना, लिखना और अंक गणित का ज्ञान हो और कक्षा तीसरी से आगे के बच्चों को विषय संबंधी समझ हो। इसके आधार पर उन बच्चों की सूची तैयार की जायेगी, जो उपरोक्त दक्षता को प्राप्त नहीं कर सके हैं। इनके लिये विशेष शिक्षण व्यवस्था की जायेगी। ऐसे बच्चों के लिये प्रतिदिन प्रति विषय न्यूनतम एक घंटे की विशेष कक्षा लगायी जायेगी।

अकादमिक गुणवत्ता कार्य-योजना में शाला के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के लिये गुणवत्ता उन्नयन प्रशिक्षण दिया जायेगा।

 

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